पापांकुशा एकादशी में ग्रहों के असर को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है, क्योंकि एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर, दोनों पर पड़ता है. चन्द्रमा की स्थिति के कारण व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति खराब और अच्छी होती है.
व्रतों में प्रमुख व्रत नवरात्रि, पूर्णिमा, अमावस्या और एकादशी के हैं. उसमें भी सबसे बड़ा व्रत एकादशी का माना जाता है. चन्द्रमा की स्थिति के कारण व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति खराब और अच्छी होती है. ऐसी दशा में एकादशी व्रत से चन्द्रमा के हर खराब प्रभाव को रोका जा सकता है. यहां तक कि ग्रहों के असर को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है, क्योंकि एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर, दोनों पर पड़ता है. इसके अलावा एकादशी के व्रत से अशुभ संस्कारों को भी नष्ट किया जा सकता है.
क्यों महत्वपूर्ण पापांकुशा एकादशी - वैसे तो हर एकादशी अपने आप में महत्वपूर्ण है परन्तु पापांकुशा एकादशी स्वयं के साथ साथ दूसरों को भी लाभ पंहुचाती है. इस एकादशी पर भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरुप की उपासना होती है. पापांकुशा एकादशी के व्रत से मन शुद्ध होता है. व्यक्ति के पापों का प्रायश्चित होता है. साथ ही माता, पिता और मित्र की पीढ़ियों को भी मुक्ति मिलती है
पापांकुशा एकादशी पर पूजा कैसे करें - प्रातः काल या सायं काल श्री हरि के पद्मनाभ स्वरुप का पूजन करें. मस्तक पर सफेद चन्दन या गोपी चन्दन लगाकर पूजन करें. इनको पंचामृत, पुष्प और ऋतु फल अर्पित करें. चाहें तो एक वेला उपवास रखकर, एक वेला पूर्ण सात्विक आहार ग्रहण करें. शाम को आहार ग्रहण करने के पहले उपासना और आरती जरूर करें.आज के दिन ऋतुफल और अन्न का दान करना भी विशेष शुभ होता है.