हिमाचल में बढ़ी सर्दी, फसलॉ को नुकसान

सैलानियों की पहली पसंद पर्यटनस्थल रोहतांग दर्रे में तीन फीट से अधिक बर्फबारी हो चुकी है। साथ ही पलचान और लाहुल घाटी में बर्फबारी का क्रम जारी है। लाहुल स्पीति जिला मुख्यालय केलंग में भी छह इंच तक बर्फ पड़ चुकी है। राष्ट्रीय राजमार्ग मनाली से लेह, ग्रांफू से काजा, एनएच-तीन मढ़ी से गुलाबा और जलोड़ी पास यातायात के लिए बंद हैं। लाहुल, उदयपुर और केलंग के सभी संपर्क मार्ग यातायात के लिए ठप हैं। इसके अलावा मनाली-तांदी-संसारी सड़क भी बंद है। रोहतांग दर्रा बंद होने से सैकड़ों लोग, वाहन चालक व कामगार लाहुल में फंस गए हैं। (फोटो - हिमाचल मौसम )



जिला मंडी के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी हुई है, जबकि निचले क्षेत्रों में बारिश होने से जिले में ठंड का प्रकोप बढ़ गया है। चंबा के डलहौजी, खजियार, भरमौर सहित ऊपरी इलाकों में सीजन का पहला हिमपात हुआ। तीसा में मटर व मक्की की 50 फीसद फसल तबाह हो गई है। हिमपात व बारिश से चंबा के पर्यटन स्थल डलहौजी का तापमान माइनस से नीचे चला गया है। प्रदेश के न्यूनतम तापमान में लगातार गिरावट आ रही है। वीरवार को दस से 13 डिग्री सेल्सियस तक तापमान के गिरने के बाद शुक्रवार को अधिकतम तापमान में आठ से नौ डिग्री तक की वृद्धि दर्ज की गई। मौसम विभाग ने अब 14 नवंबर तक प्रदेश में मौसम के साफ रहने की संभावना जताई है। शुक्रवार को भी कई स्थानों पर बारिश भी हुई। सबसे अधिक वर्षा धर्मशाला में चार मिलीमीटर दर्ज की गई। मनाली में तीन मिलीमीटर, भुंतर में दो, कुल्लू में एक और सुंदरनगर में 0.8 मिलीमीटर बारिश हुई।


लाहुल घाटी में फंसे 24 हजार कार्टन सेब - लगातार हो रही बर्फबारी से लाहुल घाटी के लोगों की दिक्कत बढ़ गई है। रोहतांग दर्रे में ढाई फीट बर्फ पड़ने से दर्रा बंद हो गया है। रोहतांग बंद होने से लाहुल के बागवानों के लगभग 24 हजार कार्टन सेब लाहुल में फंस गए हैं। हालांकि सेब का सीजन समस्त घाटी में चल रहा है लेकिन लाहुल के उदयपुर, जहालमा, गोरमा, शांशा, जोबरंग, कीर्तिंग, लौट, ठोलंग, तांदी, गोशाल व र्बिंलग में सेब के कार्टन अधिक मात्रा में फंसे हुए हैं। पिछले साल भी बर्फबारी ने बागवानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया था और इस साल भी लगभग 60 ट्रक सेब ब़र्फबारी से लाहुल घाटी में फंस गए हैं। ब़र्फबारी ने बागवानों की नींद उड़ा दी है। लाहुल घाटी के बागवान उदयपुर से अनिल ठाकुर, जाहलमा से जगदीश, शांशा से सोनम, ठोलंग से प्रेम, तांदी से अजित और र्बिंलग से सोमदेव ने बताया कि घाटी में अभी 24 हजार सेब के कार्टन फंसे हुए है।


पिछले साल भी भारी नुकसान हुआ है और इस साल भी बर्फबारी उन पर भारी पड़ी है। उन्होंने कहा की रोहतांग में लगभग तीन फीट बर्फ गिर चुकी है जिससे रोहतांग बंद हो गया है। अब उनकी उम्मीद बीआरओ की रोहतांग सुरंग परियोजना पर ही टिकी हुई है। इन बागवानों ने बीआरओ से आग्रह किया कि घाटी में फंसे सेब को सुरंग के रास्ते घाटी से बाहर भेजा जाए, ताकि बागवानों को करोडों का नुकसान होने से बचाया जा सके। उधर, कृषि मंत्री डॉ. रामलाल मार्कंडेय ने कहा कि सरकार लाहुल के लोगों के साथ है। घाटी में फंसे सेब को मंडियों तक पहुंचाने का हरसंभव प्रयास कर बागवानों को राहत दी जाएगी। बीआरओ के साथ तालमेल बिठाकर रोहतांग सुरंग से आने जाने की व्यवस्था करवाई जाएगी और रोहतांग दर्रे की बहाली को लेकर भी बीआरओ के अधिकारियों से बातचीत की जाएगी।