राज्यपाल (महाराष्ट्र) ने सबसे बड़े दल से कहा- सरकार बनाना चाहते हैं तो सूचित करें

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शनिवार को विधानसभा चुनावों में सबसे बड़े दल भाजपा से कहा है कि अगर सरकार बनाना चाहते हैं तो सूचित करें। महाराष्ट्र में 24 अक्टूबर को नतीजे घोषित होने के 15 दिन बाद तक सबसे बड़े दल या गठबंधन की ओर से सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया गया है। भाजपा विधायक दल के नेता देवेंद्र फडणवीस आज राज्यपाल से मिले थे। मुख्यमंत्री फडणवीस ने शुक्रवार को राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया था। (फोटो - फड़वनीस की राज्यपाल से मुलाकात)



भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने दावा किया है कि हमारे पास 123 विधायक हैं, सिर्फ 22 विधायकों का समर्थन और चाहिए। उम्मीद है कि हम यह संख्या पा लेंगे। शिवसेना से सरकार गठन के लिए चर्चा के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमने किसी के लिए दरवाजे बंद नहीं किए। हम चाहते हैं कि वह (शिवसेना) मीडिया में बोलने की जगह हम से सीधे बात करें। उन्होंने यह भी कहा कि रविवार को पार्टी की कोर टीम की बैठक बुलाई है। इसमें सरकार बनाने पर निर्णय लिया जाएगा।


भाजपा के सत्ता समीकरण - समीकरण: 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के पास 105 विधायक हैं। बहुमत के लिए 145 का आंकड़ा जरूरी है। अगर भाजपा 29 निर्दलीय विधायकों को अपने साथ कर लेती है, तो उसका संख्या बल 134 का हो जाता है। बहुमत परीक्षण के दौरान ध्वनिमत से भाजपा अपना बहुमत साबित कर सकती है। 2014 में भी देवेंद्र फडणवीस सरकार ने ध्वनिमत से ही बहुमत साबित किया था। बहुमत परीक्षण के समय तक भाजपा और शिवसेना साथ नहीं थे। सत्ता गठन के कुछ समय बाद दोनों दलों का गठबंधन हो गया था।
   अगर भाजपा 29 निर्दलीय विधायकों को अपने साथ कर लेती है, तो उसका संख्या बल 134 का हो जाता है। ऐसे में पार्टी बहुमत के आंकड़े से 11 सीट दूर रह जाएगी। इस स्थिति में फ्लोर टेस्ट के वक्त विधानसभा से दूसरी पार्टियों के 21 विधायक अनुपस्थित रहें तो भाजपा सदन में बहुमत साबित कर लेगी। 21 विधायकों की अनुपस्थिति की स्थिति में सदन की सदस्य संख्या 267 हो जाएगी और बहुमत का जरूरी आंकड़ा 134 का हो जाएगा। ये आंकड़ा भाजपा 29 निर्दलियों की मदद से जुटा सकती है।
   भाजपा सांसद संजय काकड़े ने दावा किया था कि शिवसेना के 45 विधायक उनकी पार्टी को समर्थन देना चाहते हैं। ऐसे में 56 विधायकों वाली शिवसेना से 45 विधायक टूटते हैं तो यह संख्या दो-तिहाई से ज्यादा हो जाएगी और दल-बदल कानून लागू नहीं होगा। 105 विधायकों वाली भाजपा का संख्या बल इन विधायकों की मदद से 150 पहुंच जाएगा और वह सदन में बहुमत साबित कर देगी। भाजपा-शिवसेना के बीच गतिरोध दूर हो जाए। इस स्थिति में भाजपा (105) और शिवसेना (56) मिलकर आसानी से बहुमत के 145 के आंकड़े को पार कर लेंगे।