तुर्की को तीन दिन में दूसरी चेतावनी - कश्मीर पर हरकतें नहीं सुधरीं तो संबंधों पर पड़ेगा असर

     भारत ने तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन के जम्मू-कश्मीर पर दिए गए बयान को लेकर तुर्की की सरकार के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराया। भारत में तुर्की के राजदूत एस. अकीर तोरुनलर को सरकार ने सख्त लहजों में बता दिया ने तुर्की की हरकतों का भारत के साथ उसके द्विपक्षीय संबंधों पर गहरा असर होगा।


(File Photo - विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार)



     तुर्की ने अब नहीं माना तो संभव है कि उसके साथ भी मलयेशिया जैसा कदम ही उठाया जाए। भारत ने तीन दिनों में दूसरी बार कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ देने के लिए तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन की कड़ी आलोचना की। विदेश मंत्रालय ने कहा कि एर्दोआन न केवल भारत के आंतिरक मामलों में दखल दे रहे हैं बल्कि सीमापार आतंकवाद को इस्लामाबाद से मिल रहे समर्थन का भी बचाव कर रहे हैं।

   भारत में तुर्की के राजदूत एस. अकीर तोरुनलर को सरकार ने सख्त लहजों में बता दिया ने तुर्की की हरकतों का भारत के साथ उसके द्विपक्षीय संबंधों पर गहरा असर होगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'कश्मीर पर एर्दोआन का बयान दर्शाता है कि ना उन्हें इतिहास की कोई समझ है और ना ही कूटनीतिक आचरण की। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन का बयान वर्तमान की संकीर्ण सोच को आगे बढ़ाने के लिए अतीत की घटनाओं से छेड़छाड़ करने वाला है।' सरकार ने कहा कि कश्मीर पर तुर्की का बयान इस बात का एक और सबूत है कि तुर्की किस तरह दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखल देता है। रवीश कुमार ने कहा, 'भारत के लिए बर्दाश्त से बाहर है। हम खासकर पाकिस्तान के सीमापार आतंकवाद को तुर्की की ओर से बार-बार बचाव किए जाने पर गहरी आपत्ति जताते हैं।'

   तुर्की के राष्ट्रपति पिछले दिनों पाकिस्तान में थे। उन्होंने 14 फरवरी को पाकिस्तान की संसद को संबोधित किया जिसमें उन्होंने फिर से कश्मीर मुद्दा उठाया और कहा कि उनका देश इस मामले में पाकिस्तान के रुख का समर्थन करेगा क्योंकि यह दोनों देशों से जुड़ा विषय है। दो दिन की यात्रा पर यहां पहुंचे एर्दोआन ने पाकिस्तान की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए ऐलान किया कि तुर्की इस सप्ताह पेरिस में वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की ग्रे सूची से बाहर होने के पाकिस्तान के प्रयासों का समर्थन करेगा। उन्होंने एफएटीएफ की आगामी बैठक के संदर्भ में कहा, 'मैं इस बात पर भी जोर देना चाहता हूं कि हम एफएटीएफ की बैठकों में राजनीतिक दबाव के संदर्भ में पाकिस्तान का समर्थन करेंगे।'

   एर्दोआन ने अपने भाषण में कश्मीरियों के संघर्ष की तुलना प्रथम विश्व युद्ध में अपने देश के संघर्ष से की। उन्होंने पिछले साल सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी अपने भाषण में कश्मीर का मुद्दा उठाया था। संयुक्त राष्ट्र में एर्दोआन के बयान पर प्रतिक्रिया करते हुए भारत ने कहा था कि उसे कश्मीर पर तुर्की के बयान पर गहरा अफसोस है और यह उसका आंतरिक मामला है।