भारत विरोधी राष्ट्रवाद के चंगुल में फंसे नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली

     नेपाल सरकार ने नए राजनीतिक नक्शे के संबंध में संविधान संशोधन बिल अपनी संसद में पेश किया है. नए नक्शे में नेपाल ने भारत के हिस्सों को अपने राज्य का हिस्सा बता दिया है. हालांकि दो दिन पहले ही सरकार ने इस संशोधन प्रस्ताव को संसद की कार्यसूची से हटा लिया था.


     अपनी ही पार्टी की तरफ से और विपक्षी दलों के तरफ से सरकार पर इस कदर दबाव पड़ा कि सरकार अपने फैसले पर दो दिन भी नहीं टिक पाई. रविवार को संशोधन प्रस्ताव को आखिरकार पेश करना पड़ा. सरकार ने दो दिन पहले नए नक्शे संबंधी संशोधन प्रस्ताव को वापस लिया था. सरकार का कहना था कि इस मामले पर राष्ट्रीय सहमति की जरूरत है. प्रमुख विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस के निर्णय नहीं होने की वजह से उस वक्त सरकार ने किनारा किया था.


संशोधन से बचने की कोशिश में थी नेपाल सरकार - कांग्रेस पार्टी ने शनिवार की देर रात को संविधान संशोधन के पक्ष में वोट‌ देने का आधिकारिक निर्णय कर लिया है. विपक्षी दल ने अपने ऊपर लगे आरोपों से किनारा करते हुए अब सरकार पर ही आरोप लगाया है कि सरकार खुद संशोधन प्रस्ताव रखने से बच रही है और इल्जाम विपक्षी दलों पर लगा रही है.


     विपक्षी दल के दबाव और अपनी पार्टी के भीतर से उठ रहे विरोध के स्वरों के बीच शनिवार की मध्य रात को सरकार ने नए नक्शे से संबंधित संविधान संशोधन के प्रस्ताव को रविवार को संसद में पेश करने की कार्यसूची सार्वजनिक कर दी. शनिवार रात को ही कैबिनेट बैठक के बाद सरकार के प्रवक्ता ने मीडिया को इस बारे में जानकारी दी.


भारत विरोधी एजेंडे पर काम कर रहे केपी ओली - भारत विरोधी राष्ट्रवाद का नारा देकर सत्ता के शिखर तक पहुंची केपी ओली की सरकार अब अपने इसी झूठे राष्ट्रवाद के नारे में फंसती नजर आ रही है. नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के आंतरिक विवाद को दबाने और अपनी गिरती सरकार को बचाने के लिए प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने नक्शा का शिगूफा छोड़ा था. पार्टी में अपने ही विरोध में बनते माहौल को देखते हुए ओली सरकार के लिए इस संशोधन प्रस्ताव को रोक पाना मुश्किल हो गया है.