भोपाल के प्रसिद्ध समाज सेवी व पशु चिकित्सक डॉ. आर.के.निगम का निधन

     इंदौर से हमारे संवाददाता राजेश निगम के ज्येष्ठ भ्राता व भोपाल के प्रसिद्ध समाज सेवी एवं पशु चिकित्सक डॉ. आर.के.निगम का निधन मंगलवार दोपहर को हो गया. डॉ. निगम पशु - पालन विभाग से निदेशक के पद से रिटायर हुए थे. सेवा निवृति के बाद वह पूर्ण रूप से समाज सेवा के क्षेत्र में सक्रिय हो गए. वे 83 वर्ष के थे तथा पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे. परिवार व  अन्य सीमित व्यक्तियों की उपथिति में भदभदा विश्राम घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया. लगभग 3 दशकों तक उनका जीवन समाज सेवा के लिए समर्पित रहा. उनकी कमी समाज को सदैव खलेगी. "THE NEWS NOW" परिवार उनकी आत्मा की शांति की परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना करता है व अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है.  



श्रद्धांजली स्वरुप राजेश निगम की अपने ज्येष्ठ भ्राता की याद में लिखि कविता प्रस्तुत करते हैं --- 


"भाई साहब आप याद बहुत आओगे"
भाई साहब,
जब से सुना आपका बिना बताए आप भाभी जी से मिलने स्थाई देवलोक पधार गए हैं....          
मन मेरा अन्दर ही अन्दर रो है.. दिल हमारा बैठ रहा है
अपने अंदर की पीड़ा ना संभाल पा रहा हूं ना बता पा रहा हूं,,
सपने धुंधले लगने लगे हैं,
जब रात का सन्नाटा होगा तब भाई साहब 
आप बहुत याद आओगे सच आप बहुत याद आओगेI
सब वीराना सा अधूरा लग रहा है आप बहुत याद आओगे भाई साहब आप बहुत याद आओगे...


बात हो ख़ुशी की या
हो दुःख के बादल घने,
आंखें आपको तलाशती रहेगी।
आंखें तरस जाएगी थक जाएंगी आपको देखने के लिए.. मन करेगा आपको फोन करलें...
नहीं हो सकेगी बात आपसे....
फिर भी आप हमारे पास रहेंगे हमारे दिल में रहेंगे


कल तक मम्मी पापा बड़ा भाई नहीं था फिर भी हमें कोई गम नहीं रहा था।
हमारे सिर पर छाया थी आपका हाथ रहा था, अब सच हम अनाथ हो गए हैं हमारा सब कुछ खो गया I


समय था वो भी,
बेबाक़ी से इस दुनिया में रहता था
जो आता मन में, मैं वो करता था,
क्योंकि, पता था मुझे,
मेरे सर पे आपका हाथ था,
बेफिक्र था क्योंकि, आपका साथ था
जब सोचता हूं अपनी बेबाक़ी को, तब...
आप बहुत याद आओगे सच आप याद बहुत आओगे I


याद है मुझको,
जब भी मैं हैरान, परेशान होता
चाहे छुप-छुप कर ही रोता
आप चुपके से झांक लेते थे
मेरा दर्द के मन को भांप लेते थे
और कहते
बेटा, राजेश चिंता क्यों करते हो
"मैं हूं ना"
आपके "मैं हूं ना" कहना ही मुझे मेरे अंदर के हम होने का एहसास कराते रहे हैं
आज जब छुपके रो रहा हूं,
"मैं हूं ना"
का स्वर खोज रहा हूं 
लेकिन...
"मैं हूं ना"
नहीं सुनाई नहीं दे रही वो आवाज, अब....
आप बहुत याद आ रहे हो I
आखिर इस कोरोना को रोना ही पड़ गया...
मजबूरी इतनी बढ़ गई कि कोरोना के कारण आखरी दीदार भी आपके ना हो सके 


अब एक कदम आगे बढ़ाने पर
डर का  एहसास होने लगा है,
कुछ गलत हुआ तो
कौन संभालेगा
मन यही सोचा करता है,
डर जब पैरों की
बेड़ियां बनने लगता है, तब.....
आप याद बहुत आओगे सच आप याद बहुत आओगे I


भोर हो, सांझ हो या हो रात,
याद आती रहेगी आपकी
हर एक बात,
घर का हो कोई कोना
छत हो, या हो दीवार
हर चीज़ आपकी याद दिलाती रहेगी, हर बात आपकी बताती रहेगी
ऐसा लगता है जैसे, मुझमें अब तो
बस सांस ही बाकी है,
और वो सांस जब लेता हूं, तब......
भाई साहब, आप बहुत याद आ रहे हो I
आप बहुत याद आ रहे हो I


आप फरिश्ते हो ओर फरिश्ते ही रहोगे...
आप देखोगे नहीं लेकिन रहोगे तो हमेशा हमारे दिल के पास....
सब कुछ सुना सन्नाटा वीराना सा लग रहा है...
सच भाई साहब आप बहुत याद आओगे आप बहुत याद आओगे
जब भी समय मिले आ जाना हमसे मिलने फिर कर लेंगे शाम रंगीली जहां आप होंगे हम होंगे और रहेगी अपनी यादें...
सच भाई साहब आप बहुत याद रहें है... आप बहुत याद आएंगे...
अपने आंसुओं की धारा रोक नहीं पा रहा हूं सच भाई साहब आप याद बहुत आ रहे हो आप याद बहुत आ रहे हो.....😢😭
आपका 
--- (राजेश निगम, इंदौर)