पाकिस्तान से भारत आए हिंदू शरणार्थियों के लिए मास्क बन गया आजीविका का साधन, परिवार का पेट भर रहीं महिलाएं

     राजस्थान के जोधपुर में पाकिस्तान से भारत आए हिंदू शरणार्थियों को मास्क मुहैया कराने की एक छोटी सी मुहिम रोजगार का जरिया बन गई। इस मुहिम से जुड़कर 70 हिंदू शरणार्थी महिलाएं अपने परिवार के लिए दो वक्त के खाने का इंतजाम कर रही हैं। यूनिवर्सल जस्ट एक्शन सोसाइटी (यूजेएएस) के सचिव हिंदू सिंह सोढा ने कहा, हमें इस बात का अंदाजा नहीं था कि पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों को मास्क प्रदान करने की मुहिम ही उन लोगों के लिए रोजी-रोटी सहारा बन जाएगी।



     शुरुआत में शरणार्थियों को देने के लिए 12 हजार मास्क सिलवाने शुरू किए थे, लेकिन जल्द मेडिकल स्टोर, उद्योग और कुछ अन्य क्षेत्रों से मास्क की मांग शुरू हो गई। इसके बाद मास्क की सिलाई के लिए हिंदू शरणार्थियों की महिलाएं आगे आईं।


दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए तैयार हो रहे मास्क - उन्होंने कहा कि नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल और भारत सरकार के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए मास्क तैयार किए जा रहे हैं। महिलाएं सूती कपड़े के तीन लेयर के मास्क तैयार कर रहीं हैं। वर्तमान में करीब 70 से अधिक महिलाएं मास्क बनाने के काम में लगीं हैं। मांग के अनुसार उत्पादन बढ़ाने के लिए करीब 200 सिलाई मशीनें शरणार्थी परिवारों को वितरित की गईं हैं।


मास्क बनाने के काम से जल रहा चूल्हा - मास्क बनाने के काम में लगी एक महिला संगीता ने कहा कि 10 रुपये में बिकने वाले एक मास्क की लागत पर करीब छह रुपये का खर्च आता है। वहीं चार रुपये मास्क की सिलाई के लिए हम लोगों को मिलते हैं। लॉकडाउन में हमारे समुदाय के पुरुषों का कामकाज बंद हो गया है, ऐसे में मास्क बनाने के काम से हमारे घरों में चूल्हा जल रहा है।