सीतामढ़ी से दशकों बाद खुली आंखों से दिखी हिमालय की चोटी

     लॉकडाउन से प्रदूषण के स्तर में कितनी गिरावट आई है इसका नमूना सीतामढ़ी में सोमवार दिखा। दशकों के बाद ऐसा हुआ जब लोगों ने खुली आंखों से सैकड़ों किलोमीटर दूर हिमालय पर्वत शृंखला का दीदार किया। खासकर बच्चों के लिए यह किसी सपने से कम नहीं था, जिन्होंने अब तक सिर्फ दादी-नानी के किस्से में ही इसका वर्णन सुना था। वहीं बुजुर्गों के लिए भी यह सुखद एहसास से कम नहीं था। उनकी भी बचपन की यादें ताजा हो गयीं।



     सीतामढ़ी निवासी व प्राकृतिक एवं पुरातत्व अनुरागी रामशरण अग्रवाल ने बताया कि उनका जन्म 1946 में हुआ। जब से होश संभाला तब से 1970 तक अक्टूबर से मार्च के महीने में हर साल हिमालय की चोटी दिखती थी। शाम के समय में तो गुलाबी रंग की बर्फीली चोटी इतनी खूबसूरत दिखती थी कि उसका वर्णन करना मुश्किल है। लेकिन बाद के वर्षों में प्रदूषण का स्तर बढ़ता गया और हिमालय का दिखना बस किस्सा बनकर रह गया।


     आज फिर से हिमालय की चोटी देखकर बचपन की यादें ताजा हो गयीं। पुपरी के भिठ्ठा धरमपुर के डोमापट्टी निवासी 65 वर्षीय हरि नारायण चौधरी ने बताया कि बचपन में वे अपने घर से शाम के समय हिमालय को देखा करते थे। उन्होंने कहा कि 70 के दशक तक हिमालय की चोटी गांव से दिखती थी। लेकिन समय के साथ यह दिखना बंद हो गया।


    सीतामढ़ी शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने भी सोमवार को अपने घरों की छत से हिमालय को देखा। 75 वर्षीय रामबाबू प्रसाद ने बताया कि यह देखकर काफी सुकून मिला। उधर, पुपरी के डॉ. मुकेश, कमलेश मिश्र आदि ने भी बताया कि यह नजारा देखकर पुरानी यादें ताजा हो गयी। बच्चों के बीच तो यह कौतूहल बना हुआ था।