जवानों की हौसला अफजाई के लिए नीमू फॉरवर्ड पोस्ट पहुंचे PM मोदी

जिस पोस्ट पर पहुंचे मोदी, वहां से चीन-PAK को एक साथ साध सकती है सेना


     चीन के साथ सीमा पर चल रहे तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार सुबह अचानक लद्दाख पहुंच गए. अचानक लेह पहुंच कर सरप्राइज विजिट करने वाले प्रधानमंत्री मोदी ने चीन और पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया को संदेश दिया है. पीएम मोदी के साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बिपिन रावत भी हैं. लेह के निमू में पीएम मोदी ने सेना, वायुसेना के अधिकारियों से सीमा विवाद, सैनिकों की तैनाती और निगरानी संबंधी जानकारियां लीं. करीब दो महीने से चीन की सीमा पर लद्दाख के गलवान घाटी में तनाव की स्थिति बनी हुई है.



     पीएम नरेंद्र मोदी के 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित निमू में सैनिकों से मिलने का कार्यक्रम है. इससे सैनिकों की हिम्मत बढ़ेगी. साथ ही पाकिस्तान और चीन समेत पूरी दुनिया को ये संदेश जाएगा कि भारतीय सैनिकों के साथ देश के आलाकमान के साथ पूरी जनता खड़ी है.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीमू की फॉरवर्ड पोस्ट पर सीनियर अधिकारियों से मिले. साथ ही सैकड़ों जवानों से बातचीत करने का भी कार्यक्रम है. इस समय लद्दाख और चीन की सीमा के आसपास करीब 45 हजार भारतीय जवान तैनात किए गए हैं.


     पीएम मोदी के साथ CDS बिपिन रावत के अलावा सेना प्रमुख एम.एम. नरवणे भी लेह में मौजूद हैं. पिछले दो महीने में चीन के साथ सैन्य और डिप्लोमेटिक स्तर पर कई लेवल की बात हो गई है, जिसमें माहौल को शांत करने की कोशिश की गई है. हालांकि, इसमें अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं हो पाया है. नीमू पोस्ट समुद्री तल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद है, जिसे दुनिया की सबसे ऊंची और खतरनाक पोस्ट में से एक माना जाता है. लेह में इस समय वायुसेना ने भी अपने लड़ाकू विमानों की तैनाती कर दी है. बीच-बीच में निगरानी भी की जाती है. 


     साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीमू-बाजगो हाइडल प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया था. उस समय नरेंद्र मोदी लद्दाख के पारंपरिक वेशभूषा में नजर आए थे. नीमू एक बेहतरीन डिफेंस लाइन है. यहां से लद्दाख, मुस्कोह, द्रास, करगिल, पाकिस्तान, पैंगोंग झील, चुशुल आदि पर सीधी नजर रखी जा सकती है भारतीय सेना ने नीमू में मेजर जनरल आरके गौर के नेतृत्व 28 डिविजन सैन्य बेस की स्थापना यहां पर की थी. ये बात थी 1980 के दशक की. उसके बाद यहां पर सैनिकों की संख्या कम की गई थी. लेकिन करगिल युद्ध के बाद यहां पर 8वीं डिविजन तैनात की गई