पिछले पांच महीनों से बॉर्डर पर अपने नापाक इरादों को पूरा करने में जुटे चीन को आखिरकार भारत की बातें माननी ही पड़ीं. लंबी बातचीत के बाद मंगलवार को भारत और चीन की सेनाओं ने इस बात पर मंजूरी जताई है कि दोनों ही अब बॉर्डर पर और सैनिक नहीं बुलाएंगे. लद्दाख सीमा के अलग-अलग हिस्सों में चीन लगातार घुसपैठ की कोशिश में लगा था, लेकिन उसे हर बार हार का मुंह देखना पड़ा. अब जब बॉर्डर पर भारत की स्थिति मजबूत है और भारत ने अपना रुख बिल्कुल भी हल्का नहीं किया तो चीन को बातचीत की टेबल पर आकर समझौता मानना पड़ा.
मई के बाद से ही जब तनाव की स्थिति पैदा हुई और अगस्त तक खिंचती चली गई. तब दोनों देशों ने सैनिकों की तैनाती कर दी, इसकी शुरुआत चीन ने की थी. चीन लगातार LAC के उस पार पचास हजार के करीब सैनिकों को जुटा रहा था, जिसके जवाब में भारत ने भी बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात कर दिया. यही कारण रहा कि बार-बार युद्ध जैसी बातें की जाने लगीं. इस बीच मंगलवार को दोनों देशों की सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक हुई. 14 घंटे की बैठक में ये बात सामने आई कि अब दोनों देश बॉर्डर पर और सैनिक नहीं बुलाएंगे.
साझा प्रेस रिलीज़ में ये कहा गया है कि दोनों देशों के बीच विवाद पर खुलकर बात हुई, आगे कोशिश रहेगी कि बात होती रहे. और सीमा पर सैनिकों की संख्या को कम किया जाए. इसी बातचीत में अभी और सैनिक ना बुलाने की बात हुई है. लेकिन भारत अभी भी पूरी तरह से सतर्क है, क्योंकि चीन इससे पहले भी ऐसे वादे करके भूलता रहा है.