सौ से ज्यादा शहरों में 2000 पत्रकार वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से भाग लेंगे
पत्रकार सुरक्षा कानून, मीडिया आयोग, मीडिया कमीशन के गठन और कोविड-19 का मीडिया पर प्रभाव पर चर्चा होगी
नई दिल्ली, इंटरनेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स से संबद्ध नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) के 11 सितंबर 2020 को आयोजित 20वें राष्ट्रीय अधिवेशन में दो हजार से ज्यादा पत्रकार हिस्सा लेंगे। सम्मेलन में मीडिया जगत की प्रमुख समस्याओं पर विचार किया जाएगा। कोरोना काल में अखबार और चैनलों से निकाले गए पत्रकारों को केंद्र और राज्य सरकारों से आर्थिक सहायता दिलाने के लिए रणनीति पर विचार होगा। कोरोना काल में बड़ी संख्या में पत्रकारों के सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है। पत्रकारों को खराब आर्थिक हालत के कारण आत्महत्या भी करनी पड़ रही हैं।
एनयूजे-आई के अध्यक्ष रासबिहारी की अध्यक्षता और महासचिव प्रसन्ना मोहंती के संचालन में वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से 100 शहरों के लगभग 2000 पत्रकार इस राष्ट्रीय अधिवेशन से जुड़ेगेबैठक में दिल्ली, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र मध्यप्रदेश, राजस्थान, झारखंड, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, असम, नगालैड़, मेघालय समेत सभी राज्यों की राजधानियों के साथ प्रमुख शहरों में वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से पत्रकार हिस्सा लेंगे।
एनयूजे-आई अध्यक्ष रासबिहारी ने बताया कि सम्मेलन में कोरोना काल में बंदी और छंटनी के शिकार पत्रकारों की समस्याओं पर विस्तृत रूप से चर्चा की जाएगी। साथ ही पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने, मीडिया काउंसिल और मीडिया कमीशन के गठन की मांग को जोरदार ढंग से उठाया जाएगा। बैठक में पत्रकारों के खिलाफ फर्जी मुकदमों के आधार गिरफ्तारी करने के खिलाफ रणनीति बनाई जाएगी। बैठक में तय किया गया कि आर्थिक रूप से कमजोर अखबारों को सहायता दिलाने के लिए केंद्र सरकार से मांग की जाएगी।
दिल्ली जर्नलिस्टस एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश थपलियाल और महासचिव के पी मलिक ने बताया कि एनयूजे मुख्यालय 7, जंतर , नई दिल्ली पर बैठक का आयोजन किया जाएगा। बैठक में शारीरिक दूरी के साथ कोरोना से बचाव के सभी उपायों के साथ बैठक होगी। राकेश थपलियाल ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से पत्रकारों को खराब होती हालत के मद्देनजर कोई कदम नहीं उठाया गया है। के पी मलिक ने कहा कि हैरानी की बात है कि पत्रकारों की कोरोना से हो रही मौतों को लेकर भी सरकार की तरफ से संवेदनशीलता नहीं दिखाई दे रही है. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में तो एक वरिष्ठ पत्रकार के कोरोना संक्रमित होने और निधन होने पर मकान खाली करा लिया गया।