बिहार के गोपालगंज जिले के रामपुर बरौली गांव के लिए यही सच्चाई है. करीब तीन हजार की आबादी वाले इस गांव में एक सड़क तक नहीं है. वह भी कई दशकों से. इस गांव के ग्रामीण बताते हैं कि तीन पीढ़ियों से तो किसी ने सड़क देखी ही नहीं है. गांव के लोगों को खेतों की पगडंडियों से आने-जाने की नियति बन गई है. कीचड़ व पानी पार कर लोग खाट पर मरीज को 5 किलोमीटर पैदल अस्पताल ले जाते हैं. यह गांव बिहार के वर्तमान और पिछली सभी सरकारों की पोल खोलता नजर आता है.
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस गांव के सड़क मार्ग से नहीं जुड़ने के कारण युवक-युवतियों की शादी में दिक्कत आती है. आज भी कई ऐसे युवक-युवतियां हैं जिनकी शादी सड़क के अभाव के कारण नहीं हो सकी. कोई भी लड़की पक्ष इस गांव के लड़के से शादी करना नहीं चाहता. लोग पहले ही देखकर भाग जाते हैं. कहते हैं कि जिस गांव में सड़क और अस्पताल न हो वहां अपनी बेटी की शादी कैसे करें. बेटा हो या बेटी, उनकी शादी अच्छे परिवार में नहीं हो पाती है.
अगर किसी की तबियत खराब हो जाए, चाहे वो गर्भवती महिलाएं हों, गंभीर पेशेंट हो या बुजुर्ग उसे अस्पताल तक पहुंचाने के लिए खाट का सहारा लेना पड़ता है. जिसको चार लोग अपने कंधों पर खेत की पगडंडियों और कीचड़ से होकर ले जाते हैं. सड़क नहीं होने से गांव में न ही एंबुलेंस पहुंच पाती है, न ही स्कूल बस. दरवाजे तक 4 पहिया की बात तो दूर दोपहिया वाहन भी नहीं पहुंच पाते हैं. ग्रामीणों ने ऐलान किया है कि अगर अब चुनाव से पहले सड़क नहीं बनती है तो हम लोग किसी को वोट नही देंगे. जो भी नेता गांव में आएगा, उनका विरोध होगा.
ज्यादा परेशानी बाढ़ और बरसात के दिनों में होती है. जब धमहि नदी उफान पर होती है. उन दिनों चारों ओर से यह गांव पानी से घिर जाता है. लोग गांव में ही कैद हो जाते हैं. भले ही सरकार व स्थानीय प्रशासन सुशासन की बात करता हो, लेकिन इस गांव की स्थिति यह दर्शाती है कि विकास तो दूर गांव में आवागमन तक के रास्ते का नहीं होना सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजनाएं इस गांव के लिए बेमतलब हैं.