बिहार का ये शख्स बन गया इस देश का राष्ट्रपति, पर हालत पुश्तैनी गांव की ख़राब.

     बिहार में जहां विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जा रहे हैं तो वहीं, भारत से चार हजार किलोमीटर दूर सेशेल्‍स देश में बिहार के एक शख्स ने इतिहास रच दिया. भारतीय मूल के वैवेल रामकलावन को हिंद महासागर के द्वीपीय देश सेशेल्स का राष्ट्रपति चुना गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेशेल्स में हुए राष्ट्रपति चुनाव में वैवेल रामकलावन को 54 फीसदी मत मिले हैं. उन्होंने डैनी फॉरे को भारी मतों के अंतर से मात दी है. उन्हें सेशेल्स का राष्ट्रपति चुने जाने पर पीएम नरेंद्र मोदी सहित कई लोगों ने बधाई दी है. वहीं, उनके पैतृक गांव बरौली प्रखंड के परसौनी गांव में खुशी की लहर है. 



      वैवेल रामकलावन का घर गोपालगंज के बरौली प्रखंड के परसौनी में है. जहां वे लगभग दो वर्ष पूर्व आए थे. परसौनी गांव के लोगों ने बताया कि 2 साल पूर्व जब वे अपने गांव आए थे तो यहां की मिट्टी का तिलक लगाया था और कहा था कि वो गांव वालों का प्यार नहीं भूल पाएंगे. वैवेल रामकलावन ने अगली बार फिर आने का वादा किया था. उन्होंने यह भी कहा था कि अब वापस आएंगे तो राष्‍ट्राध्‍यक्ष बनकर आएंगे. गांव के सब लोग रामकलावन को काफी मानते हैं. वे कहते है कि गांव का बेटा दूसरे देश का राष्ट्रपति बना है. हालांकि, इस गांव की हालत बहुत अच्छी नहीं है. यहां पर आम जनसुविधाएं भी नहीं है. गांव बेहद पिछड़ा है. 


     उनके करीबी बताते हैं कि वैवेल रामकलावन के पूर्वज करीब 135 साल पहले परसौनी गांव से कोलकाता होते हुए मारीशस पहुंचे थे. जहां वह गन्ने के खेत में काम करने लगे. कुछ समय बाद सेशेल्स चले गए थे. उस समय देश अंग्रेजों का गुलाम था. अंग्रेज यहां के लोगों को मजदूरी कराने के लिए ले जाते थे. उन्‍हें गिरमिटिया मजदूर कहा जाता था. इनमें बिहार के लोग भी थे. उन लोगों ने अपनी मेहनत से वहां अपना साम्राज्‍य भी स्‍थापित किया. रामकलावन के परदादा भी उन्‍हीं में थे, जो अपने वतन को छोड़कर वहां गए. फिर उनके वंशज वहां से सेशेल्‍स चले गए, लेकिन वह भारत और अपनी जन्‍मभूमि को नहीं भूले. 1961 में वैवेल रामकलावन का जन्म सेशेल्स में ही हुआ था. 


     साल 2018 में वो भारतवंशी (पीआइओ) सांसदों के पहले सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली आए थे. उस समय वह सेशेल्स की संसद नेशनल असेंबली के सदस्य थे. वैवेल रामकलावन 10 जनवरी 2018 को अपने पूर्वजों के गांव को ढूंढते हुए परसौनी आए थे. यहां आते ही गांव की माटी को नमन कर माथे पर तिलक लगाया था. वे तब सेशेल्स की नेशनल असेंबली में नेता प्रतिपक्ष थे. अपने पुरखों के गांव परसौनी में कदम रखते ही उनकी आंखें छलक आई थीं. अब रामकलावन सेशेल्‍स के राष्‍ट्रपति निर्वाचित हो गए हैं. 


     वैवेल रामकलावन जब गांव आए थे तब उन्होंने अपने चचेरे भाई से मुलाकात की थी. उन्होंने अपने तीनों बेटों के साथ भारत आने का वादा किया था. लोग बताते हैं कि रामकलावन ने राष्‍ट्राध्‍यक्ष बनने के बाद अब वो उनके राष्‍ट्रपति के रूप में यहां आने का इंतजार कर रहे हैं. वे उस समय अपने पुरखों के परिवार रघुनाथ महतो से मिले थे, जो रामकलावन के चाचा के पुत्र हैं.