सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश की गलत व्याख्या कर अभिभावकों पर मानसिक दबाव बना रहे है निजी स्कूल संचालक

News from - अभिषेक जैन बिट्टू

 स्कूल फीस मुद्दा ...

     -- सुप्रीम कोर्ट ने 2019-20 के अनुसार 100 % फीस 6 किश्तों में लेने आदेश के साथ, फीस के चलते किसी भी बच्चे की पढ़ाई नही रोकने के दिये थे अंतरिम आदेश

     जयपुर। स्कूल फीस फसाद थमने का नाम नही ले रहा है हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल फीस फसाद पर अपना अंतरिम दे दिया है और कभी भी इस पर अंतिम आदेश दे सकती है। अंतरिम आदेश के अनुसार निजी स्कूल संचालको वर्ष 2019-20 के अनुसार 5 मार्च से 6 किश्तों में फीस लेने का आदेश दिया गया था, साथ ही यह भी कहा गया था कि फीस के चलते कोई भी स्कूल संचालक बच्चों की पढ़ाई बाधित नही कर सकता है और ना एक्जाम देने से रोक सकता है। 

     संयुक्त अभिभावक संघ का कहना है कि निजी स्कूल संचालक सुप्रीम के आदेश की अवहेलना करते हुए लगातार अपनी मर्जी से फीस वसूलने के दबाव बना रहे है यही नही स्कूल संचालक सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या कर अभिभावकों को गुमराह तक कर रहे है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में अभिभावकों के हितों को दरकिनार कर दिया किन्तु हम फिर भी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सम्मान करते हुए अंतरिम आदेशनुसार फीस जमा करवाने के लिए किश्तों में फीस जमा करवाने के लिए स्कूल संचालकों को बोल रहे है जिस पर निजी स्कूल संचालक और स्टाफ अभिभावकों को अपमानित करते हुए पूरी फीस जमा करवाने की धमकी दे रहे है और फीस जमा न होने की स्थिति में एक्जाम देने से रोकने तक कि धमकी दे रहे है जो साफ-साफ सुप्रीम कोर्ट का अपमान करने के सामान है। 

     प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि संयुक्त अभिभावक संघ के हेल्पलाइन 9772377755 नम्बर पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में शिकायते मिल रही है, केवल जयपुर ही नही बल्कि अजमेर, पाली, कोटा, बूंदी, जोधपुर, उदयपुर, भीलवाड़ा सहित पूरे प्रदेश का अभिभावक निजी स्कूलों की हठधर्मिता का शिकार होने पर मजबूर हो रहे है। पूर्व में ऑनलाइन पढ़ाई, फॉर्म भरने के नाम पर अभिभावकों को प्रताड़ित किया गया और अब एक्जाम के नाम पर अभिभावकों को प्रताड़ित कर उनपर मानसिक दबाव बनाया जा रहा है।

     मालवीय नगर फ्लाई ओवर के नजदीक स्थित एक प्रतिष्ठित स्कूल के अभिभावक ने बताया कि स्कूल में मेरी तीन बच्चियां पढ़ती है, मेरे पास पिछले एक साल से प्रॉपर काम नही है जिसकी वजह से मेरी आमदनी पर बहुत प्रभाव पड़ा है, इस एक साल में मेरे माता-पिता का भी देहांत हो चुका है उसके बावजूद मेने स्कूल प्रशासन से अनुरोध किया, निवेदन, लिखित में पोस्टेड चैक देने की बात कही किन्तु स्कूल संचालकों ने मेरे बच्चों की पढ़ाई रोक दी है और अब फीस को लेकर दबाव बना रहे है कि अगर फीस जमा नही करवाई तो एक्जाम नही देने दिया जाएगा। 

     मुरलीपुरा के एक प्रतिष्ठित स्कूल के अभिभावक अभिभावक ने कहा की में पिछले एक साल से बेरोजगार हु. बेरोजगारी के चलते में जयपुर में किराए का घर छोड़कर अपने गांव वापस आ गया हूं। मेरे बच्चे स्कूल में पढ़ते है और ऑनलाइन क्लास भी अटेंड की किन्तु स्कूल संचालक अब फीस को लेकर दबाव बना रहे है और फीस जमा ना होने की स्थिति में बच्चों को एक्जाम देने से रोक रहे है।

     प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज शर्मा ने कहा कि आज निजी स्कूल संचालक हठधर्मिता को बरतते हुए इंसानियत हो शर्मसार कर अभिभावकों के साथ दुर्व्यवहार कर रहे है। अभिभावक स्कूलों सहित प्रशासन व सरकार से गुहार लगा रहे है किंतु कोई भी अभिभावकों की ओर देखने को तैयार नही है। कोरोना महामारी को दौर भले ही अभी का हो किन्तु स्कूल और अभिभावकों का बहुत पुराना रिश्ता है और आगे भी बिना रिश्तों के साथ सम्भव नही है। स्कूल संचालकों को समझना चाहिए और इंसानियत के धर्म का पालन करना चाहिए। अगर अभिभावक मजबूर हो गया तो निजी स्कूलों पर बच्चे नही ताले दिखेंगे।