"मोदी की विदेशनीति"

 From - Abhijeet Srivastava

     जब मोदी फिलिस्तीन जाते है तो जॉर्डन उन्हें हेलीकॉप्टर उपलब्ध करवाता है और इजराइली वायुसेना सुरक्षा प्रदान करती है। जब राफेल फ्रांस से उड़कर भारत आता है तो यूएई के विमान राफेल को मिड एयर रिफ्यूलिंग प्रदान करते है। आतंकवाद के खिलाफ मोदी की जीरो टॉलरेंस नीति तो जग जाहिर है। ये मोदी ही है जिन्होंने दुनिया के गुड और बैड टेररिज्म के भेद को समाप्त किया और आतंवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील की। कोई भी देश अपना लाभ हानि देखे बिना किसी देश का समर्थन या विरोध नहीं करता। भारत अक्सर तटस्थ इसलिए भी रहता है क्योंकि भारत आज भी कुछ वस्तुओं के मामले के पूरी तरह से विदेशों पर निर्भर है।

(file photo - PM Narendra Modi)
     इजराइल के मामले में भारत इसलिए अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा क्योंकि भारत अभी अपने नफा नुकसान का गणित लगा रहा है। और जहां तक मुझे लगता है (हो सकता है मैं गलत होऊं), भारत खुलकर सामने नहीं आएगा। अगर भारत को प्रतिक्रिया देना भी पड़ी तो बहुत ही सधी हुई प्रतिक्रिया देगा। अधिकांश मुस्लिम देश इजराइल के दुश्मन है। भारत इजराइल के फटे में टांग कभी नहीं अड़ाएगा। इसका एक सबसे बड़ा कारण "तेल" है। भारत तेल के मामले में अरब देशों पर पूरी तरह निर्भर है। ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध के चलते पहले ही भारत का काफी नुकसान हुआ है। अमेरिका के पास तेल के कुवें है. अमेरिका सुपरपावर है इसलिए वो उछलता रहता है, वो किसी का समर्थन करे या विरोध करे उसे घंटा फर्क नहीं पड़ता। लेकिन भारत के साथ ऐसा नहीं है. भारत को अपना हित भी साधना है।

     इजराइल हमेशा भारत का साथ देता है इसके लिए भारत सदैव इजराइल का ऋणी रहेगा। हम सभी देशवासी इजराइल के आभारी है। पर समझिए, इजराइल पर कोई दबाव नहीं है। इजराइल अकेला 7 देशों से भिड़ सकता है। चीन और अमेरिका भी अकेले दुनिया के किसी भी देश से भिड़ सकते है क्योंकि वे आत्मनिर्भर है। उनके पास भारत से कई गुना ज्यादा डॉलर का भंडार है, तेल के भंडार है। मोदी भी भारत को आत्मनिर्भर बना रहे है। इलेक्ट्रिक और सौर ऊर्जा पर भारत को शिफ्ट कर रहे है। जिस दिन भारत 100% इलेक्ट्रिक और सौर ऊर्जा पर शिफ्ट हो जायेगा उस दिन भारत भी सीना चौड़ा करके इजराइल के साथ सामने से खड़ा दिखेगा।

     बाकी कोई देश शक्तिशाली उसके नागरिकों के आचरण से भी होता है। इजराइल के सभी नागरिक देशभक्त है, देश के लिए मर मिटने का जज्बा रखते है। चीन के नागरिक भी अनुशासित है। जबकि भारत के आधे नागरिक तो विपक्ष के साथ खड़े होकर सबूत मांगते है. मोदी पर ही चुनाव जीतने के लिए आतंकी हमला करवाने का आरोप लगाते है और आधे सेकुलर लिबरल नागरिक अपनी सुख सुविधा में कोई कमी नहीं चाहते. 24/7 बिजली पानी, सस्ता आलू, प्याज और पेट्रोल मिलता रहे नहीं तो मोदी को उखाड़ फेकेंगे। जो बाकी बच गये वो ही राष्ट्र के विषय में चिंतित रहते है। भारत में पेट्रोल डीजल की कीमतें बढ़ने पर जनता तांडव करने लगती है. भारत की जनता जब सांप्रदायिक दंगों की विभीषिका नहीं झेल पाती और तत्काल सरकार पर उंगली उठाकर आत्मघाती आचरण करने लगती है तो ये जनता 21वीं सदी के युद्ध की विभीषिका कैसे झेल पायेगी। प्रधानमंत्री मोदी को ये सब भी सोचना पड़ता है।

     मोदी की आलोचना करो लेकिन तथ्यों को ध्यान में रखकर आलोचना करो। आलोचना की आड़ में बकलोली मत करो। मोदी को विदेशनीति और कूटनीति मत सिखाओ।