बंगाल हिंसा और पलायन : अजीत सिन्हा

     राँची (झारखण्ड) : धार्मिक, आध्यात्मिक, सामाजिक, मीडिया के संगठनों से संबंधित एवं प्रस्तावित नेताजी सुभाष पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अजीत सिन्हा ने पश्चिम बंगाल में पोस्ट पोल वायलेंस के हिँसा के शिकार सभी दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, इस हिंसा में घायल भाई - बंधु, माताओं - बहनों के त्वरित गति से रिकवरी हेतु परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना की और कहा कि आज के पश्चिम बंगाल में वैसे लोग बहुसंख्यक समाज पर हावी हैं जिनके पूर्वजों ने तलवार के जोर पर सलवार पहनी अर्थात्‌ मुगलों से डरकर अपना धर्म परिवर्तन किया लेकिन दुःख की बात यह है कि जिनके पूर्वजों ने डटकर मुगलों का मुकाबला किया और अपना मान - सम्मान बचाते हुये अपने सनातन हिन्दू धर्म पर अडिग रहे वे मारे - मारे फिर रहे हैं। 

     पश्चिम बंगाल की हिंसा में करीब 12 से 17 लोगों के काल - कल्वित होने की खबर मुझे गूगल द्वारा प्राप्त हुई है जबकि अन आॅफिसियली यह संख्या सही नहीं है. ऐसी भी खबर आ रही है कि एक लाख से अधिक सनातनी हिन्दू पश्चिम बंगाल से पलायन कर चुके हैं. इसके लिये ममता की सरकार उतनी ही जिम्मेवार है जितनी राज्य की वर्तमान  मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा। क्योंकि सत्तासीन टीएमसी दल का षडयंत्र था कि भाजपा के वोटरों में भय उत्पन्न करना, जिसमें वह सफल रही लेकिन भाजपा अपने वोटरों की रक्षा नहीं कर सकी. उनके करीब एक लाख वोटर या उनका परिवार असम, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों में पलायन कर चुके हैं. कई अभी भी पलायन करने का मन बना रहे हैं क्योंकि वहां अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे आततायियों का मनोबल बढ़ा हुआ है. वे धर्म परिवर्तन करने हेतु दबाव भी डाल रहे हैं।

(अजीत सिन्हा)
    विदित हो कि सभ्य समाज में हिंसा की कोई स्थान नहीं होती है लेकिन वहां के बहुसंख्यक समाज इतने सहिष्णु और कायर बन चुके हैं कि अपनी रक्षार्थ कोई कदम नहीं उठा रहे हैं. क्योंकि उन्होंने अहिंसा परमो धर्मः को अंगीकार कर लिया हैं. धर्म हिंसा तथैव च भूल गए हैं. जबकि सनातनियों को शास्त्र यह सिखाता है कि आत्मरक्षार्थ, धर्म रक्षार्थ और राष्ट्र रक्षार्थ शस्त्रों के प्रयोग करने से परहेज या गुरेज नहीं करनी चाहिए।
    आगे अजीत सिन्हा ने भाजपा के केंद्र की सरकार को हाशिये पर लेते हुए कहा कि यदि सरकार अपने राष्ट्र के नागरिकों की सुरक्षा, रक्षा नहीं कर सकती तो उसे सत्ता में रहने का कोई हक नहीं। ठीक उसी तरह से यदि राज्य की सरकार अपने नागरिकों की रक्षा करने की जगह उनकी भयादोहन करे तो ऐसी सरकार को अविलंब बर्खास्त कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए। इस हेतु माननीय राज्यपाल महोदय ने जमीनी हकीकत पता की है और रिपोर्ट भी ली है लेकिन ऐसी उनकी क्या मजबूरी है कि राष्ट्रपति शासन लगाने हेतु अभी तक अपनी रिकोमेंडेशन महामहिम राष्ट्रपति महोदय को क्यों नहीं भेजी है?

     हालांकि कि भाजपा भी चुप नहीं बैठी है और उसके विपक्ष के नेता अपनी आवाज उठा रहे हैं. साथ में राज्यपाल महोदय भी राज्य की ऐसी परिस्तिथियों से खिन्न हैं लेकिन भाजपा की रणनीति इस प्रकरण से निपटने हेतु क्या है? वह वही जाने लेकिन पिस रही है निरीह जनता ही न?

     आज विश्व के अनेक देश इस्लामिक आतंकवाद से त्रस्त हैं. इससे निपटने हेतु उन्होंने अपनी रणनीति भी बना ली है. इसका वे क्रियान्वयन भी कर रहे हैं चाहे वह इजरायल हो या फ्रांस। लेकिन भारत ने इससे निपटने हेतु कोई रणनीति अभी तक नहीं बनाई है. यदि बनाई भी है तो यह सार्वजनिक नहीं है।

     केंद्र और राज्यों की सरकारों को विदित हो कि भारत में राजतंत्र नहीं है, न ही बाहुबलियों की राज है. प्रजातंत्र में प्रजा की वोट ही सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका अदा करती है. यदि प्रजा को संरक्षण और सुरक्षा नहीं मिलेगी तो जनता अपनी सुरक्षा हेतु सड़कों पर निकल पड़ेगी और देश में अराजकता का माहौल उत्पन्न हो जाएगा। इसके जिम्मेवार सरकारें ही होंगी। क्योंकि धर्म युद्ध और गृह युद्ध जैसी स्थिति - परिस्तिथि किसी भी देश के लिए घातक होती है।

     यहां पर तलवार के जोर पर सलवार पहनने वाले लोगों को भी विदित हो कि बहुसंख्यक समाज ने हाथों में चूडिय़ां नहीं पहन रखी है. आपकी जुल्म व सितम को बार - बार सहते रहें, क्योंकि यह वही धर्म के लोग हैं जिनके पूर्वजों ने मुगलों के सामने हथियार नहीं डाले और सलवार नहीं पहनी। इसलिये हमारी सहन शक्ति की बार - बार परीक्षा मत लो। देश में बनी इन परिस्थितियों से निकलने के लिए मेरी केंद्र सरकार को सुझाव है कि वे पूरे भारत में परिसीमन लाएं। आततायियों की बहुतायता को तोड़ें। साथ में जनसंख्या नियंत्रण कानून लाकर इनकी संख्या भी सीमित करें। एन आर सी को पूरे देश में क्रियाशील बनाकर देशद्रोहियों, जेहादियों एवं गद्दारों पर लगाम लगायें।