सरकार खुद कन्फ्यूज है तीसरी लहर से बच्चों को प्रभावित होने का खतरा, छात्रों और अभिभावकों को गुमराह ना करें - SAS

News from - अभिषेक जैन बिट्टू (प्रदेश प्रवक्ता & मीडिया प्रभारी-संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान)

बोर्ड एक्जाम ...... कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की दस्तक, दो हजार से अधिक छात्र-छात्राएँ व बच्चे कोरोना संक्रमित, उसके बावजूद आरबीएसई बोर्ड एक्जाम पर क्यो अड़ी है राज्य सरकार?

     जयपुर। आईसीएसई, सीबीएसई और आरबीएसई बोर्ड एक्जाम को लेकर असमंजस्य स्थिति बनी हुई है. केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार दोनों अपने-अपने स्तर पर एक्जाम करवाने को लेकर खानापूर्ति करने में जुटे हुए हैं। ना अभिभावकों के डर की फिक्र है, ना छात्र-छात्राओं के सवालों जवाब है, ना उनकी जिंदगी से कोई सरोकार रख रही है सरकारें। पिछले 1 महीने से राजस्थान सहित देशभर के अभिभावक और छात्र-छात्राएं बोर्ड परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे हैं। बकायदा एक्जाम को निरस्त करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका भी लगाई जा चुकी है। किंतु सरकारें अपनी हठधर्मिता का प्रदर्शन करते हुए जबर्दस्ती छात्र-छात्राओं को मौत के कुएं में धकेलने की साजिश रच रही है और अभिभावकों को प्रताड़ित करने का कार्य कर रहे है।

     जयपुर जिला अध्यक्ष युवराज हसीजा ने कहा कि वर्तमान में अगर कोरोना संक्रमण के चलते स्थिति बिगड़ी हुई नही होती, तो किसी को भी एक्जाम से कोई तकलीफ भी नही होती। किन्तु केंद्र और राज्य सरकार दोहरा चरित्र दिखाकर देश और राज्य में डर का माहौल लगातार बनाती आ रही हैं। जुलाई-अगस्त में एक्जाम करवाने की बात बोल रहे हैं जबकि सरकार की रिपोर्ट के आधार पर जुलाई - अगस्त में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर आएगी। जिसका सर्वाधिक प्रभाव बच्चों में देखने को मिलेगा। राजस्थान में तो तीसरी लहर की दस्तक हो चुकी है.        

     राजस्थान के 6 जिलों में 2 हजार के लगभग छात्र-छात्राएं व बच्चे कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। पिछले 1 साल में ना जाने कितने संक्रमित होकर अपनी जान गवां चुके है। किंतु दोनों सरकारें अपने अधिकारों का गलत प्रयोग कर मामले को दबाने की साजिश रचकर, अपनी नाकामियों का ठीकरा अभिभावकों के सिर मंडकर जिम्मेदारी और जवाबदेही से भाग रही हैं। अभिभावकों को वर्तमान परिस्थितियों में बच्चों के एक्जाम से ज़्यादा उनके स्वास्थ्य की फिक्र है. जिस पर सरकारों ने कोई जिम्मेदारी इस एक साल में एकबार भी नही ली है।

     प्रदेश संयुक्त मंत्री मनोज जसवानी ने कहा कि कोरोना संक्रमण की स्थिति और आने वाली तीसरी लहर (जो आ चुकी है) जो बच्चे के लिए घातक साबित होगी। उसको लेकर अभिभावकों की चिंता जायज है. राज्य सरकार और केंद्र सरकार जबर्दस्ती एक्जाम का मख़ौल खड़ा कर छात्र-छात्राओं की जिंदगी से खिलवाड़ करने की योजना बना कर निजी स्कूलों की फीस वसूली को संरक्षण दे रही हैं। जो सत्र 3 महीने पहले पूरा हो जाना चाहिये था, उस सत्र को 3 महीने और बढ़ाकर अभिभावकों से फीस वसूली की योजना पर कार्य किया जा रहा है। 

     प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों दोस्ती और दुश्मनी खत्म होकर केवल लूटतंत्र पर कार्य किया जा रहा है. स्थितियों को भापकर दुश्मन भी मदद के लिए हाथ बड़ा रहा है और हमदर्दी दिखा रहे है किंतु यहां सरकारें निजी स्वार्थ के चलते दुश्मनों से भी अधिक बुरा बर्ताव कर रही हैं। केंद्र और राज्य सरकारों ने पिछले सवा सालों में बेहतर शिक्षा को लेकर कोई विकल्प नही तलाशें। यही कारण है आज भी एक्जाम को लेकर केवल विकल्प ही तलाशे जा रहे है और इन्ही कारणों की वजह से अभिभावक व छात्र-छात्राएं चिंतित है। अभिभावकों के मन मे कुछ सवाल हैं. आशा तो यही है सरकार इनके जवाब तो देंगी नही किन्तु आत्ममंथन जरूर करेगी।

एक्जाम को लेकर अभिभावकों ने केंद्र और राज्य सरकार से पूछे 10 सवाल

1) एक्जाम के दौरान अगर छात्र-छात्राएं कोरोना संक्रमित होते है तो उसकी जिम्मेदारी और जवाबदेही किसकी ?

2) सरकार बोल रही है कि एक चौथाई संख्या में 15 प्रतिशत सेंटर बढ़ाकर एक्जाम लिए जाएंगे, क्या यह सम्भव है ?

3) जब छात्र-छात्राओं को आधी-अधूरी शिक्षा मिली है, तो वह एक्जाम कोनसे सब्जेक्ट का देंगे ?

4) उन छात्र-छात्राओं का क्या होगा जिन्होंने इस पूरे सत्र में एक भी दिन ऑनलाइन और ऑफलाइन क्लास ही अटेंड नही की है ?

5) पूर्व में भी परीक्षा स्थगित हो चुकी है अब अगर परीक्षा स्थगित हुई तो क्या छात्र-छात्राओं का मनोबल नही गिरेगा ?

6) सीबीएसई बोर्ड एक्जाम को लेकर सरकार वेक्सीन की मांग कर रही है आरबीएसई बोर्ड के लिये क्या वेक्सीन की आवश्यकता नही है ?

7) अगर 6 महीनों में भी वैक्सिनेशन नही हुआ तो क्या होगा ?

8) छात्र - छात्राओं की जिंदगी ज़्यादा जरूरी है या एक्जाम ?

9) अभिभावकों व छात्र-छात्राओं की मांगों को दरकिनार क्यो किया जा रहा है ?

10) बोर्ड परीक्षाएं विद्यार्थियों के जीवन का टर्निग पॉइंट हो सकता है, किन्तु जब जिंदगी ही दांव पर लगी हो तो क्या यह टर्निग पॉइंट काम आएगा ?