आयुर्वेद विभाग मे रिकॉर्ड पद खाली

News from - भूपेन्द्र औझा

अफसरों के बिना चल रहा महकमा

     भीलवाड़ा। प्रतिपक्ष भाजपा नेता गुलाब चन्द्र कटारिया के विधानसभा मे पैश किये एक तारांकित प्रश्न के जवाब ने देश की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के प्रति राज्य सरकार की कितनी तवज्जो है? इसकी पोलखोल दी। आयुर्वेद एवम चिकित्सा मंत्री डा.रघु शर्मा ने पिछले हफ्ते ही कहा था - सरकार भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद को बढा देने के लिए काफी जागरुप ओर प्रयत्नशील है। प्रदेश मे पांच शहरों मे आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा से संबंधित महाविद्यालयों को  खोला जा रहा है। बकायदा मंत्री ने बताया, कोविड कहर की व्दितीय लहर काल मे आयुर्वेद ने कोरोना से लोगों को बचाने तथा शरीर मे रोग प्रतिरोधक शक्ति बढाने बाबत मई महीने तक 32लाख  से ज्यादा व्यक्तियो को औषधि युक्त काढा वितरण किया। 

     जबकि प्रतिपक्ष नेता कटारिया के तारांकित प्रश्न के 3 जून को दिये जवाब में सरकार ने बताया कि आयुर्वेद औषधियों का निमार्ण करने वाले रसायन मे स्वीकृत 5 सौ पदो मे से किसी पद पर अधिकारी नियुक्त नहीं। याने सभी पद खाली? ओर तो ओर व्यवस्थापक रसायन शाला के कूल 133 पदो मे से मात्र एक पद पर व्यवस्थापक नियुक्त है। जबकि मंत्री कह रहे, आयुर्वेद रसायन शाला ने औषधि युक्त काढा तैयार कर 32लाख लोगों को प्रदान किया।

     भाजपा नेता कटारिया के तारांकित प्रश्न के जवाब में सरकार ने आयुर्वेद विभाग में प्रशासनिक बदतर दशा की पोल खोल दी। आयुर्वेद विभाग में आलम यह है कि सबसे बड़े प्रशासनिक पद निदेशक पर लम्बे समय से किसी की नियुक्ति नहीं होने से खाली पडा है। विभाग में अफसरों का टोटा देखिये कि अतिरिक्त निदेशक, प्रधान आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी नियुक्त नहीं है। वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी ग्रेट व्दितीय के 15 सौ पद मे से 204 तथा आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी के 2304 मे से 451 पदो पर नियुक्तियों का इंतजार है। नर्स, कम्पाउंड के भी करीब एक चौथाई से अधिक पद खाली पडे है।