अभिभावकों के साथ भेदभाव कर रही है सरकार, दिल्ली की तर्ज पर राजस्थान में भी निजी स्कूलों पर कार्यवाही

News from - अभिषेक जैन बिट्टू

निजी स्कूलों पर सख्ती बरते गहलोत सरकार, सुप्रीम कोर्ट के आदेश और फीस एक्ट की पालना ना करने वाले स्कूलों को करे टेकओवर : संयुक्त अभिभावक संघ

     जयपुर। निजी स्कूलों को लेकर प्रदेश में लगातार अभिभावक अपनी शिकायते दर्ज करवा रहे है जिस राजस्थान सरकार बिल्कुल भी गंभीर नजर नही आ रही है। संयुक्त अभिभावक संघ ने दावा किया है कि पिछले सवा सालों में प्रदेश के 20 हजार से अधिक निजी स्कूलों के अभिभावकों ने सरकार और शिक्षा विभाग के सभी प्लेटफार्म पर अपनी शिकायतें दर्ज करवाई है किंतु शिकायतों पर सुनवाई तक तो दूर उनका जवाब तक नही दिया जा रहा है। संघ ने गहलोत सरकार से निजी स्कूलों पर सख्ती बरतने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का आदेश और फीस एक्ट 2016 कानून का पालन नही करने वाले निजी स्कूलों को दिल्ली सरकार की तर्ज पर टेकओवर करने की मांग की है। 

     प्रदेश विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी ने बताया कि पिछले एक महीनों में शिक्षा विभाग को दो से अधिक निजी स्कूलों की शिकायत दर्ज करवा चुके है, जिसमे स्कूल संचालकों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए ना केवल मनमानी फीस वसूल रहे बल्कि छात्र-छात्राओं की पढ़ाई तक बन्द कर दी, पिछले सत्र का रिजल्ट भी रोक दिया है और इस बार के रिजल्ट के लिए फेल करने की धमकियां दे रहे है। लगातार शिकायतें दर्ज करवा रहे है किंतु शिक्षा विभाग के कानों में जू तक नही रेंग रही है, केवल निजी स्कूल संचालक ही नही बल्कि राज्य सरकार और शिक्षा विभाग के अधिकारी भी अपने कर्तव्यों का दुरप्रयोग कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहे है। राज्य सरकार को डीएफआरसी के गठन के लिए दो बार पत्र लिख दिया, किन्तु फीस एक्ट के अनुसार दो महीनों में अब तक डीएफ़आरसी का गठन तक नही किया गया, ऐसे में अभिभावक कहा जाए ना सरकार अभिभावकों की शिकायतों पर सुनवाई कर रही है ना शिक्षा विभाग सुनवाई कर रहा है।

     प्रदेश महामंत्री संजय गोयल ने बताया कि दिल्ली के पंजाबी बाग स्थित स्वामी शिवानंद मेमोरियल स्कूल की मनमर्ज़ियों और धमकियों के खिलाफ अभिभावक लगातार शिकायत कर रहे थे जिस पर दिल्ली सरकार और प्रशासन ने जांच बिठाई, जांच कमेटी ने स्कूल के कामकाज में अनियमितता पाई और अभिभावकों की शिकायतों को सही पाया और यही नही स्कूल मैनजमेंट कोई संतोषजनक जवाब तक नही दे पाया जिसके बाद दिल्ली सरकार ने स्कूल को टेकओवर कर लिया। यह सभी प्रक्रिया दिल्ली एजुकेशन एक्ट 1973 के तहत किया गया। 

      अगर राजस्थान सरकार भी प्रदेश के अभिभावकों के प्रति गंभीरता दिखाए तो बहुत से निजी स्कूलों की तानाशाही खत्म हो सकती है किंतु राज्य सरकार ऐसा ना कर चुप्पी साधे बैठी है जिसका स्कूल मैनजमेंट लगातार फायदा उठा रहे है और अभिभावकों को ना केवल प्रताड़ित कर रहे है बल्कि अपमानित तक कर रहे है। ऐसे में राज्य सरकार की भूमिका गंभीर हो जाती है किंतु आज तक वह अपनी गंभीरता नही दर्शा पाई है। शिक्षा विभाग में अभिभावक शिकायत दर्ज करवाने जाते है तो अधिकारी फीस जमा करवाने का दबाव बनाकर खदेड़ देते है। राज्य सरकार प्रदेश के अभिभावकों के प्रति गंभीरता दिखाए जिससे उन्हें न्याय मिल सके।