किसान की खुशहाली के बिना आजादी अधूरी है

News from - रामपाल जाट (राष्ट्रीय अध्यक्ष-किसान महापंचायत)  

खुशहाली के दो आयाम – ऋण मुक्ति और पूरे दाम

सम्पूर्ण क्रांति अब नारा है – भावी इतिहास हमारा है

     तीन कृषि कानूनों का एक बार के उपलक्ष में रामपाल जाट (राष्ट्रीय अध्यक्ष-किसान महापंचायत) ने  एक  आज  प्रेसवार्ता कर कहा कि 

निन्दन्तु नीतिनिपुणा यदि वा स्तुवन्तु ,

लक्ष्मी: समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम् ।

अद्यैव  वा मरणमस्तु युगान्तरे वा ,

न्यायात पथ: प्रविचलन्ति पदं न धीरा: ।।

(भर्तृहरि नीति शतक से )

भावार्थ:- “चाहे नीति निपुण जन निंदा करें या प्रशंसा करें, चाहे लक्ष्मी (वैभव) / पद आवे या चला जावे, चाहे मृत्यु तत्काल आ जावे या युगो तक नहीं आवे, धीरपुरुष न्याय के मार्ग से एक कदम भी विचलित नहीं होतेI” यह आत्मा अवलोकन के लिए प्रासंगिक है.

     यह एक वर्ष आलोचना/प्रत्यालोचना, गाली गलौच, शत्रुता के भाव, आपसी अविश्वास तथा किसानों सहित जन सामान्य को कष्ट पहुचाने वाला रहा है. सरकार द्वारा वार्ताओं को आधार बनाकर समाधान के रास्ते में विचलन लाया गया है जबकि गुरुतर दायित्व सरकार का है. जिसे 'न्याय' के आधार पर कार्य संचालन के प्रति निष्ठावान होना चाहिए। यदि सरकार इस मार्ग पर चले तो समाधान शीघ्र संभव है। 12 जनवरी 2021 को उच्चतम न्यायालय ने इन कानूनों की क्रियान्विति को स्थगित करने से सरकार का कार्य सरल हो गया था. 

      सरकार द्वारा इन कानूनों को डेढ़ वर्ष तक स्थगित रखने का 22 जनवरी 2021 को प्रस्ताव दिया गया था यानि सरकार इन कानूनों को स्थगित रख कर देश व्यापी विचार विमर्श करने के निष्कर्ष पर पहुंच गई थी किंतु सरकार ने इन कानूनों को स्थगित करने के लिए अभी तक भी कोई आदेश प्रसारित नहीं किया। जबकि सरकार इस आशय का शपथ पत्र उच्चतम न्यायालय में प्रस्तुत करने का सरकार के पास समुचित अवसर था। 

     इन कानूनों में जिन संशोधनों के लिए सरकार तैयार हुई थी, उन संशोधनों के लिए भी अभी तक तो आध्यादेश/संसद में प्रस्ताव नहीं लायी है। न्यूनतम समर्थन मूल्य चालू रखने के संबंध में संसद तक घोषणा तो हुई, किंतु उसे वैधानिकता प्रदान करने की सार्थक पहल अभी तक नहीं की गई। जिनके लिए वार्ता होने या नहीं होने की कोई आवश्यकता  नहीं थी , तब भी सरकार उन कार्यों को अभी तक नहीं कर पायी है। इस दिशा में पंजाब, राजस्थान जैसे राज्यों के विधानमंडलों द्वारा पारित संशोधनों को लंबित रखा हुआ है, उनके अनुमोदन की कार्यवाही भी आरंभ नहीं की गई है।

     दूसरी और सत्य, शांति, अहिंसा के आधार पर आंदोलन अधिक प्रभावकारी होता है। सत्याग्रह उत्तम मार्ग है, जिसमें शत्रुता/कटुता के भाव से विरत रहते हुए दूसरों के स्थान पर स्वयं को कष्ट पहुंचाने के मार्ग  की  पालना शब्दों से ही नहीं पूर्ण निष्ठा से होना अधिक कारगर है। आज सम्पूर्ण क्रांति दिवस भी है ,भारत सरकार द्वारा “एक राष्ट्र – एक बाज़ार” के नाम पर तीन कानूनों के अध्यादेशों के एक वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर सभी को इस दिशा में विचार करना जनहित में है | इसी के द्वारा सत्य के आधार पर व्यवस्था परिवर्तन की दिशा में बढनें के लिए संकल्पित होना आवश्यक है |