अभिभावक ना राहत मांग रहे है ना भीख, वह केवल अपना हक मांग रहे है जिसे कानून ने मान्यता दी है

News from - अभिषेक जैन बिट्टू  (प्रदेश प्रवक्ता & मीडिया प्रभारी-संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान)  

शिक्षा मंत्री से अभिभावकों की मांग ...

निजी स्कूलों का करवाया जाए ऑडिट, स्कूलों की आड़ में चल रहा भ्रष्टाचार का खेल

     जयपुर। प्रदेश के निजी स्कूलों की हठधर्मिता के चलते अभिभावक लगातार शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग में शिकायत दर्ज करवा रहे है किंतु सुनवाई ना होने से हताश अभिभावकों ने शिक्षा मंत्री से मांग की है कि वह प्रदेश के सभी निजी स्कूलों की ऑडिट करवाएं. अभिभावकों का कहना है कि निजी स्कूलों की आड़ में भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा खेल खेला जा रहा है, जिस पर लगाम लगनी अतिआवश्यक है। खास तौर पर वह स्कूल जिनका कहना है कि उनके पास फंड खत्म हो गया है। गौरतलब है कि पिछले डेढ़ साल से सभी स्कूल बंद है, पूरी पढ़ाई ऑनलाइन सिस्टम पर चल रही है, निजी स्कूल ऑनलाइन के बजाय ऑफलाइन मोड़ की पूरी फीस वसूल रहे है जबकि अभिभावकों का कहना है कि स्कूलों के बजाय अभिभावकों पर अधिक खर्च का भार पड़ा है, स्कूल अपने खर्चे बताने के बजाय हर साल फीस बड़ा रहे है जबकि वर्तमान परिस्थित में कोरोना संक्रमण के चलते लाखो अभिभावक बेरोजगार हो गए है और छोटे-बड़े व्यापारियों के व्यवसाय खत्म हो गए है। 


     संयुक्त अभिभावक संघ का कहना है कि निजी स्कूल शिक्षा और फीस को लेकर बनाये किसी भी कानून की पालना नही कर रहे है, अभी हाल में 3 मई 2021 को सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी आया था उसकी भी पालना नही कर रहे है। ऐसे में शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग का कर्तव्य बनता है कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश और शिक्षा व फीस को लेकर बने सभी कानूनों की पालना सुनिश्चित करवाये। जो स्कूल पालना नही करता है उस पर सख्त एक्शन लेकर कार्यवाही करें।

     संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि डेढ़ साल से निजी स्कूलों की शिकायतें करते आ रहे है किंतु हर बार अभिभावकों की शिकायतों को नजरअंदाज किया जा रहा है। संयुक्त अभिभावक संघ राज्य सरकार से मांग करता है वह निजी स्कूलों जांच करे और सभी स्कूलों की ऑडिट करवाये। स्कूल संचालक ना टीचरों को सेलरी दे रहे है ना स्टाफ को सेलरी दे रहे है बहुत सारे ऐसे स्कूल है जिन्होंने 50 से 70 प्रतिशत तक टीचर और स्टाफ को स्कूलों से हटा दिया गया है। अभिभावकों पर मनमर्जी करते हुए पूरी फीस जमा करवाने का दबाव बनाया जा रहा है। ऐसे में जो स्कूल नियमों का उल्लंघन कर रहे है उन पर सख्त एक्शन लिया जाए।

     प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज शर्मा ने कहा कि शिक्षा निर्देशक और शिक्षा विभाग ने जब भी कभी स्कूलों का ऑडिट करवाया है स्कूल हमेशा सर प्लस में रहे है। हमारी मांग है शिक्षा विभाग उन सभी स्कूलों पर स्पेशल इंस्फेक्शन करे और जिनके पास भी सर प्लस फंड हो, वे स्कूल पेरेंट्स से एरियर्स ना ले। संयुक्त अभिभावक संघ के हेल्पलाइन 9772377755 नम्बर पर आए दिन शिकायतें प्राप्त होती है कि 03 मई 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया था निजी स्कूल संचालक उस आदेश की भी गलत व्याख्या कर रहे है और मनमाने तरीके से फीस वसूल रहे है। जिसकी शिकायत शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग को भी लगातार दर्ज करवाई जा रही है किंतु प्रशासन निजी स्कूलों के संरक्षण में व्यस्त है। 

अभिभावक ना राहत मांग रहे है ना भीख, वह केवल अपना हक मांग रहे है जिसे कानून ने मान्यता दी है

     प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि सरकार और प्रशासन अभिभावकों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है जबकि अभिभावकों की मांग केवल इतनी है जो अधिकार कानून ने उन्हें दिए केवल उसकी पालना सुनिश्चित करवाई जाए। वह ना सहायता मांग रहे है ना रियायत और ना ही भीख मांग रहे है। किंतु सरकार, प्रशासन और निजी स्कूलों की जुगलबंदी अभिभावकों को ठोकरे खाने पर मजबूर कर रही है।