संयुक्त अभिभावक संघ ने की घोषणा, संघ का आरोप "निजी स्कूलों के संरक्षक बन पद का दुरुपयोग कर रहे शिक्षा मंत्री"

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     फीस एक्ट 2016, सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना सुनिश्चित करने एवं शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के इस्तीफे की मांग को लेकर 30 जुलाई "अभिभावक " करेंगे शिक्षा संकुल का घेराव

     जयपुर। स्कूल फीस मसले को लेकर पिछले डेढ़ सालों से चल रहा अभिभावकों का विरोध एक बार फिर सड़कों पर आ गया है। इस बार संयुक्त अभिभावक संघ ने राज्य सरकार के खिलाफ बिगुल बजाते हुए " 03 मई 2021 को आये सुप्रीम कोर्ट के आदेश, फीस एक्ट 2016 की पालना सुनिश्चित करने एवं राज्य के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के इस्तीफे या बर्खास्त करने की मांग को लेकर राजधानी जयपुर शहर के जेएलएन मार्ग स्थित " शिक्षा संकुल " के घेराव की घोषणा की है। शिक्षा संकुल का घेराव शुक्रवार 30 जुलाई को प्रातः 10 बजे से किया जाएगा जिस पर संघ का कहना है कि " इस बार संघर्ष आर-पार का होगा, सरकार और प्रशासन को अभिभावकों के अधिकार देने होंगे, अभिभावक ना राहत मांग रहा है ना भीख, मांग रहा है वह केवल अपना हक, मांग है जिसे कानून राज्य सरकार ने बनाया है।" 

     प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल और महामंत्री संजय गोयल ने कहा कि " राज्य सरकार और शिक्षा विभाग प्रशासन अभिभावकों संग गैरजिम्मेदाराना व्यवहार कर मजबूरन प्रताड़ित कर निजी स्कूलों का संरक्षण कर रहे है। दो दर्जन से अधिक स्कूलो की शिकायतें दर्ज करवाने के बावजूद ना कार्यवाही की जा रही है ना जांच की जा रही है जानकारी मांगी जाती है तो वह भी नही दी जाती। बच्चों की ऑनलाइन क्लास बंद कर दी गई है, रिजल्ट रोके जा रहे है फीस वसूलने के षड्यंत्र रचकर एक्जाम का प्रोपोगंडा बनाकर फीस जमा करवाने का दबाव बनाया जा रहा है फीस जमा ना होने पर एक्जाम नही लेने की धमकियां दे रहे है जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है। अभिभावकों के सब्र का बांध अब टूट चुका है, अभिभावक फीस भी जमा करवाना चाहते है किंतु जो कानून में अधिकार मिले है उसके तहत फीस जमा करवाएंगे यह अभिभावकों की मांग है। अभिभावकों की मांगो को लेकर जयपुर, अजमेर, किशनगढ़, भिवाड़ी, बांदीकुई सहित विभिन्न जिलों और कस्बों में मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी दिए जा चुके है किंतु अभी तक कोई कार्यवाही नही की गई है।  

स्कूल खोलना चाहते है तो स्कूल खोले, किन्तु स्कूल और सरकार स्कूल आने वाले प्रत्येक बच्चों के स्वास्थ्य की गांरटी और जिम्मेदारी लेंवे

     प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू का कहना है कि वह स्कूल खोलने का बिल्कुल भी विरोध नही कर रहे है अभिभावक भी चाहता है स्कूल खुले क्योकि बच्चों की पढ़ाई सफर कर रही है किंतु इसमें अभिभावकों की मांग है " स्कूल खोलने पर स्कूलो में आने वाले प्रत्येक बच्चे के स्वास्थ्य की गांरटी स्कूल और सरकार उठाये " किन्तु स्कूल संचालक चाहते है यह जिम्मेदारी भी अभिभावक ही उठाये जिसका राज्य सरकार समर्थन कर रही है। क्योकि दूसरी लहर से पूर्व जब कक्षा 6 से 12 के बच्चों के स्कूल खोले गए थे तब इन्ही स्कूलों ने अभिभावकों से एफिडेविट भरवाए थे, उस एफेडेविट में स्पष्ट लिखा था स्कूल परिसर में बच्चों को कुछ भी हो जाये उसकी जिम्मेदारी अभिभावकों की होगी। अभी हाल ही में लोकसभा में ऑक्सीजन से मरने वालों की संख्या पूछने के सवाल पर खुद केंद्रीय मंत्री ने बयान दिया था कि ऑक्सीजन की कमी से कही भी कोई मौत नही हुई है जबकि दूसरी लहर में इसका तांडव पूरे देश ने देखा था। ऐसे परिणाम के बाद प्रत्येक अभिभावक डरा हुआ है जिसके चलते कोई भी अभिभावक बिना जिम्मेदारी और गांरटी के बच्चों को स्कूल भेजना नही चाहते है।

मुख्यमंत्री ने हस्तक्षेप कर खोली शिक्षा मंत्री की पोल, अब बर्खास्त करें

     जयपुर जिला अध्यक्ष युवराज हसीजा ने कहा कि स्कूलो को खोलने पर बिना सहमति निजी स्कूलों के दबाव में आकर 2 अगस्त से स्कूलो को खोलने की तारीख घोषित करने के मामले में जब चारों तरफ से राज्य सरकार घिर गई तो मुख्यमंत्री ने स्वयं हस्तक्षेप कर शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा की पोल खोली। शिक्षा मंत्री के इस तरह के व्यवहार से स्पष्ट होता है कि वह पद का दुरुपयोग कर निजी स्कूलो का संरक्षण कर एकतरफा तुगलकी फरमान जारी कर रहे है। इससे पूर्व में भी बहुत सारे तुगलकी फरमान शिक्षा मंत्री द्वारा जारी किए गए है। शिक्षा मंत्री ना किसी से ठीक से बात करते है और सदैव अपने पद का रोब झाड़ते है। ऐसे शिक्षा मंत्री जो राज्य में अपनी बदजुबानी और अहंकार के लिए मशहूर है उन्हें मंत्री जैसे पद पर नही रहना चाहिए उन्हें तत्काल अपना इस्तीफा दे देना चाहिए नही तो मुख्यमंत्री को उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए।

स्कूलो को खोलने को लेकर दबाव में है सरकार, फीस वसूली की साजिश का हिस्सा स्कूल खोलना

     प्रदेश विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी ने कहा कि राज्य में शिक्षा का व्यापार कर रहे निजी स्कूलों के गहरे दबाव में है राज्य सरकार, शुक्रवार को बेसक मुख्यमंत्री ने बीच-बचाव कर स्कूलो को खोलने के निर्णय को वापस लेकर शिक्षा मंत्री को बचाया हो किन्तु यह स्पष्ट है निजी स्कूलों की फीस वसूली का एक हिस्सा है स्कूल खोलना, जिसके चलते स्कूल संचालक लगातार शिक्षा मंत्री पर दबाव बना रहे थे, क्योकि समय-समय पर खुद शिक्षा मंत्री ने इन्ही निजी स्कूलों से फंड देने की गुहार लगाते देखे गए थे। जिसके चलते वह निजी स्कूलों का संरक्षण करते है।