निजी स्कूल संचालक कंसेंट फॉर्म के जरिये एसओपी की भी उड़ा रहे है धज्जियां - संयुक्त अभिभावक संघ

News from - अभिषेक जैन बिट्टू

     जयपुर। लंबे अंतराल के बाद 1 सितम्बर से कक्षा 9 से 12 वीं के स्कूल खुलने जा रहे है जैसे - जैसे तारीख नजदीक आती जा रही है विवाद भी बढ़ता जा रहा है। सोमवार को संयुक्त अभिभावक संघ ने कहा कि "निजी स्कूल संचालक कंसेंट फॉर्म के नाम अभिभावकों पर दबाव बना रहे है और शिक्षा विभाग से जारी एसओपी की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे है।" संघ ने कहा कि स्कूल संचालक अभिभावकों को बच्चो को स्कूल भेजने का दबाव बना रहे है जो अभिभावक स्वीकृति पत्र (कंसेंट फॉर्म) भरकर नही दे रहे है तो उनके भविष्य से खिलवाड़ की धमकियां दे रहे है।

     प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि निजी स्कूलों द्वारा स्कूल खुलने के एलान के बाद परीक्षाएं आयोजित करने का प्रोपोगंडा करना शुरू कर दिया, इस प्रोपोगंडे के साथ ही अभिभावकों को पर दबाव बनाया जा रहा है कि बच्चे स्कूल में आकर ही परीक्षाएं देनी है। परीक्षा का षड्यंत्र रचकर अभिभावकों से मनमाने तरीके से फीस वसूली जा रही है, फीस जमा ना होने की एवज में बच्चों को स्कूल में एंट्री नही देने की धमकी के साथ भविष्य खराब करने की धमकियां भी दी जा रही है। 


जब सारी जिम्मेदारी अभिभावकों की, तो क्यो भेजे बच्चो को स्कूल, क्यो भरे पूरी फीस - अभिषेक जैन बिट्टू

     संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि स्कूलो द्वारा जबर्दस्ती कंसेंट फॉर्म भरवाए जा रहे है उन कंसेंट फॉर्म में स्कूलो ने स्पष्ट लिखकर दे दिया है कि बच्चों को अगर स्कूल परिसर में कुछ हो जाता है तो उसकी जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन की नही होगी। कंसेंट फॉर्म में यह भी स्पष्ट लिख दिया गया है कि बच्चों को कोरोना से सम्बंधित सभी सुरक्षा उपक्रम की जिम्मेदारी भी अभिभावकों की होगी, वह ना सेनेट्राइजर देंगे ना जरूरत पड़ने पर मास्क देंगे। स्कूलो की भारी भरकम फीस चुकाने के बावजूद अगर स्कूल संचालक बच्चो के स्वास्थ्य से इस कदर समझौता करेंगे तो अभिभावक बच्चों को क्यो स्कूल भेजे। 

स्कूल खोलना बहाना है केवल फीस वसूलनी है 

      प्रदेश विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी ने बताया कि स्कूल खुलने के बाद अभिभावकों से कंसेंट फॉर्म भरवाए जा रहे है जिसमे अभिभावकों पर 2020-21 और 2021-22 कि फीस जमा करवाने का भी दबाव बनाया जा रहा है जो पूरी तरह से अनैतिक है। जबकि स्कूल संचालज ना सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना कर रहे है ना फीस एक्ट 2016 लागू कर रहे है। उसके बावजूद कंसेंट फॉर्म के जरिये अभिभावकों को बच्चो को फेल करने, परीक्षा नही बैठने, भविष्य खराब करने जैसी धमकियां दे रहे है साथ यह भी बोल रहे है अगर फीस जमा नही करवाई तो बच्चों को स्कूल ना भेजे। स्कूल खुलने से पूर्व स्कूल संचालकों ने वादा किया था कि बच्चों की शिक्षा खराब हो रही है, फीस मसला नही है, बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी ली थी किन्तु स्कूल खुलने के आदेश होते ही स्कूल संचालको ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया, स्कूलो के व्यवहार से स्पष्ट होता है कि स्कूल खुलवाना तो बहाना था, केवल फीस लूटनी है।

ट्रांपोर्टेशन के 5 हजार लगते थे अब मांग रहे है 9 हजार

     टोंक रोड़ वसुंधरा कॉलोनी निवासी राजीव कुमार ने बताया कि उनकी बच्ची सेंट जेवियर स्कूल नेवटा में पढ़ती है तथा वह कक्षा 9 वीं की छात्रा है। टोंक रोड़ से नेवटा के लिए पहले एक क्वाटर के 5 हजार रु ट्रांसपोर्टेशन फीस लेते थे अब 9 हजार रु मांग रहे है। अब एकदम से ट्रांपोर्टेशन फीस डबल कर दी जो पूरी तरह से नाजायज है।