अभिभावकों को गुमराह करने में जुटे है निजी स्कूल संचालक, शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्री और नेता - संयुक्त अभिभावक संघ

News from -  अभिषेक जैन बिट्टू

     जयपुर। सोमवार से प्रदेश में छवि सुधारने का एक ट्रायल निजी स्कूलो के संरक्षक एवं शिक्षा मंत्री द्वारा शिक्षा संकुल के औचक निरक्षण के तौर पर किया गया। इस औचक निरक्षण में पेरेंट्स का इस्तेमाल करते हुए शिक्षा मंत्री ने 24 घण्टे में शिकायतों को पूरा करने के दावे किए, जिस पर संयुक्त अभिभावक संघ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि "निजी स्कूलों और शिक्षा विभाग की तर्ज पर शिक्षा मंत्री भी अभिभावकों को गुमराह करने में पूरी तरह से जुटे है। शिक्षा मंत्री अभिभावकों को गुमराह करने की बजाय अभिभावकों की शिकायतों पर परिणाम दिखाए।"

     पिछले डेढ़ सालों में प्रदेशभर के अनगिनत अभिभावकों ने सीधे शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री तक शिकायतें दर्ज करवाई हुई है किन्तु आजदिनांक तक शिकायतों को देखा तक नही गया है, शिक्षा मंत्री को भेजी गई शिकायतों का आलम यह है कि जो ईमेल आईडी दी गई थी वह ईमेल आईडी ब्लॉक हो गई। 

     प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा की सोमवार से प्रदेश में सहानुभूति का एक प्रोपोगंडा शिक्षा मंत्री द्वारा रचा जा जिसमें वादे और दावे तो बहुत किये जा रहे है किंतु शिकायतों पर कार्यवाही अमल में नही लाई जा रही है। जबकि संयुक्त अभिभावक संघ सहित अन्य अभिभावक संगठनों और स्वयं अभिभावकों ने पिछले डेढ़ सालों में शिक्षा मंत्री से मुलाकात कर सेकड़ो शिकायतें दर्ज करवाई। उन शिकायतों पर आज दिनांक तक भी कार्यवाही ना मुख्यमंत्री द्वारा अमल लाई जा रही है ना शिक्षा मंत्री अमल में लाई जा रही है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार के इस दुर्व्यवहार के चलते अभिभावकों में लगातार असन्तोष बढ़ता जा रहा है, इस असन्तोष को काबू करने को लेकर शिक्षा मंत्री ने सहानुभूति का प्रोपोगंडा रचा है जिसमे दावे और वादे तो है किंतु कार्य कुछ भी नही है। 

मजबूरी में फंसे अभिभावकों को प्रताड़ित करवाना बन्द करे राज्य सरकार 

     प्रदेश महामंत्री संजय गोयल ने कहा कि पिछले डेढ़ सालों से कोरोना संक्रमण के चलते परिस्थितियां बिल्कुल विपरीत स्थिति में है ऐसे में राज्य सरकार को आगे आकर फ्रंट लाइन वर्कर की भूमिका को सार्थक करना चाहिए था किन्तु राज्य सरकार ने अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ निजीकरण को अपना संरक्षण देकर ना केवल चुप्पी साध ली बल्कि निजी स्कूलों की मनमानीयों पर मौन धारण कर अभिभावकों को प्रताड़ित करने का षड्यंत्र किया गया। राज्य सरकार को कोरोना संक्रमण की परिस्थियों को ध्यान में रखकर मजबूरी में फंसे अभिभावकों का साथ देना चाहिए और निजी स्कूलों द्वारा प्रताड़ना को बंद करवाना चाहिए। 

कानून की पालना में नाकाम राज्य सरकार, निजी स्कूलों के दबाव में दबी - अभिषेक जैन बिट्टू 

     प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार राज्य में कानून व्यवस्था की पालना सुनिश्चित करवाने में पूरी तरफ से नाकाम साबित हो रही है। ना राज्य सरकार द्वारा निर्मित फीस एक्ट 2016 लागू करवाया जा रहा है, ना 03 मई 2021 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा आये आदेश की पालना सुनिश्चित करवाई जा रही है। राज्य सरकार निजी स्कूलों के दबाव में दब चुकी है और स्कूलो के इशारों पर कार्य कर कठपुतली की तरह काम कर अभिभावकों को प्रताड़ित कर रही है।

फीस के चलते बच्चो का भविष्य अंधकार में डाल रहे है स्कूल संचालक

     संयुक्त अभिभावक संघ ने दावा किया है कि प्रदेश में अनगिनत बच्चों का भविष्य अंधकार में धकेला जा रहा है, केवल फीस के इश्यू के चलते 9 वीं से 12 वीं बच्चों के सीबीएसई बोर्ड रजिस्ट्रेशन नही किये जा रहे है। संगठन के हेल्पलाइन 9772377755 पर लगातार अभिभावकों की शिकायतें प्राप्त हो रही है। इस संदर्भ में स्कूल और विभाग से संपर्क किया गया किन्तु कोई भी बच्चों और अभिभावकों का साथ देने की बजाय उनका भविष्य अंधकार में धकेल रहे है।