कोरोना की तीसरी लहर को दरकिनार कर बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ करने की साजिश रच रही है सरकार - संयुक्त अभिभावक संघ

News from - अभिषेक जैन बिट्टू

 अभिभावक पहले ही डरे हुए है कक्षा 9 से 12 वीं में ही बच्चों को स्कूल नही भेज रहे है ऐसे में ये तुगलकी फरमान क्यो? 

     जयपुर। राज्य सरकार की दोगली नीतियां एक बार फिर प्रदेश को खतरे की धकेल रही है, एक और जहां कक्षा 9 से 12 वीं तक के स्कूल खुलने के बावजूद अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नही भेज रहे है वही अब राजस्थान सरकार ने निजी स्कूलों के दबाव में आकर 20 सितम्बर से छठी से आठवीं और 27 सितम्बर से एक से पांचवी तक के लिए स्कूल खोलने के आदेश दिए है। संयुक्त अभिभावक संघ ने राजस्थान सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए कहा है कोरोना महामारी की तीसरी लहर का संकट अभी बरकरार है, उसके बावजूद कोरोना की तीसरी लहर को दरकिनार कर बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ करने की साजिश रच रही है राजस्थान सरकार। 

     प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि कक्षा 9 वीं से 12 वीं तक के बच्चों के लिए स्कूल पहले ही खोले जा चुके है किंतु ना राज्य सरकार बच्चों के स्वास्थ्य की गारंटी दे पाई और ना निजी स्कूल संचालक बच्चों के स्वास्थ्य की गारंटी दे पाए उसके बावजूद जबर्दस्ती कर बच्चों और अभिभावकों को डरा-धमका कर स्कूल बुलाया जा रहा है। ना स्कूलो में बच्चों की सुरक्षा का इंतज़ाम है ना तीसरी लहर के प्रकोप को रोकने संसाधन उपलब्ध है ऐसी स्थितियों को देखकर अभिभावकों पहले ही बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार नही है उसके बावजूद जबर्दस्ती पढ़ाई, एक्जाम और भविष्य का डर दिखाकर बच्चों को स्कूल बुलाये जाने का षड्यंत्र रचे जा रहे है। जब से कक्षा 9 से 12 वीं तक के स्कूल खुले है तब से अब तक मात्र 10 से 15 % प्रतिशत बच्चे से ही स्कूल में जा रहे है।

निजी स्कूलों के दबाव के राज्य सरकार का तुगलकी फरमान

     प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि कोरोना महामारी के दुष्प्रभाव और प्रकोप के चलते अभिभावक पहले ही चिंतित और पीड़ित है सरकार ने कक्षा 9 वीं से 12 वीं तक के स्कूल पहले ही खोले हुए है अपने पूर्व आदेश की समीक्षा किये बगैर कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों के स्कूल खोलना पूरी तरह से तुगलकी फरमान है। राजस्थान में राज्य सरकार पूरी तरह से निजी स्कूलों की संरक्षक बनकर कार्य कर रही है, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद बच्चों की पढ़ाई रोकी जा रही है, प्रतिदिन फीस के मैसेज किये जा रहे है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश को आये साढ़े 5 महीने हो चुके है किंतु ना राजस्थान सरकार कोई संज्ञान ले रही है ना प्रशासन कोई संज्ञान ले रहा है। सरकार, स्कूल और प्रशासन के इस दुर्व्यवहार से अभिभावकों में कानून के प्रति असन्तोष बढ़ता जा रहा है।