‘‘संयुक्त महासंघ ने किया संघर्ष का ऐलान‘‘

News from - Ratan Kumar (विस्तृत रिपोर्ट )

 26 सितम्बर 2021 को मनायेंगे विरोध दिवस‘‘

     जयपुर. प्रदेश में वर्तमान सत्तारूढ़ राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के कर्मचारियों, बोर्ड, निगम, स्वायत्तशाषी, पंचायतीराज, सहकारी संस्थाओं एवं अस्थायी आधार पर कार्यरत कार्मिकों के प्रशासनिक एवं वित्तीय हितों पर कुठाराघात, वायदा-खिलाफी एवं संवादहीनता के विरोध में अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ ने राज्यव्यापी आंदोलन की घोषणा कर आर-पार के संघर्ष का निर्णय किया है।

     प्रदेश संघर्ष समिति के संयोजक महावीर प्रसाद शर्मा ने संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा हठधर्मिता एवं कार्मिकों के शोषणा की पराकाष्ठा की जा रही है, जिससे राज्य कर्मचारियों में राज्य सरकार के प्रति जबरदस्त आक्रोश, असंतोष व अविश्वास का वातावरण बना हुआ है। राज्य सरकार महासंघ एवं महासंघ से सम्बद्ध विभिन्न घटक संगठनों के  साथ हुए समझौतो/सहमतियों की क्रियान्विति नहीं कर रही है एवं कर्मचारियों को एक बार फिर से भ्रमित करने के लिए कमेटी गठन का खेल खेल रही है। राज्य सरकार द्वारा जिस सामंत कमेटी पर करोडो रूपये व्यय किये गये है, उसकी रिपोर्ट को सार्वजनिक किये बगैर ही श्री खेमराज चौधरी (IAS)  की अध्यक्षता में नवीन कमेटी का गठन कर दिया गया है। 

     संयुक्त महासंघ इस कमेटी का पुरजोर विरोध करता है। उपरोक्त कारणों के चलते प्रदेश के कर्मचारी मजबूरन राज्यव्यापी आंदोलन के लिए उतारू हुए है। प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा कोरोनाकाल में विडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से राजनैतिक/सामाजिक संगठनों के साथ तो संवाद कायम करने का कीर्तिमान स्थापित किया गया है परन्तु खेद का विषय है कि वैश्विक महामारी में जान हथेली पर रखकर कार्य करने वाले एवं राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की सफल क्रियान्विति के लिए प्रतिबद्ध राज्य कर्मचारियों के साथ सरकार के गठन से अब तक संवादहीनता रखी गई है जो बर्दाश्त से बाहर है। राज्य कर्मचारियों के सहयोग एवं समर्पण के बगैर राज्य सरकार की जनकल्याण की कल्पना भी निर्मूल है। 

     राज्य सरकार के वित्तीय कुठाराघातों से प्रदेश के लाखों शिक्षक, अधिनस्थ, मंत्रालयिक एवं सहायक कर्मचारियों पर वेतन कटौती के कारण करोड़़ों रूपये की वसूली की तलवार लटकी हुई है। आजादी के बाद यह प्रथम अवसर है जिसमें कर्मचारियों के वेतन को पुनः निर्धारण कर उनकी जेब काटी जा रही है, राज्य कर्मचारी सरकार द्वारा की जा रही जेबतराशी का माकूल जवाब देने के लिए आंदोलन को मजबूर हुए हैै। राज्य सरकार द्वारा नवीन भर्ती सेवा नियम एवं अंशदायी पेंशन योजना लागू कर नव युवक कर्मचारियों को  बंधुआ मजदूर की श्रेणी में लाकर खडा कर दिया है एवं उनके बुढापे का सहारा पेंशन रूपी लाठी को तोड दिया है। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ नौजवान राज्य कर्मचारियों के हकों के लिए अन्तिम मुकाम तक संघर्ष करेगा। 

     राज्य सरकार द्वारा नौकरशाही के दबाव में विभिन्न विभागों में स्वीकृत लाखों रिक्त पदों को नही भरा जा रहा है अपितु धीरे-धीरे स्वीकृत पद समाप्त कर सार्वजनिक क्षेत्र को हानि पहुंचायी जा रही है एवं निजीकरण को बढावा दिया जा रहा है जो राज्य की जनता एवं शिक्षित/प्रशिक्षित बेरोजगार युवाओं के साथ घोर अन्याय है। राज्य में संविदा, समेकित वेतन, मानदेय एवं ठेका प्रथा द्वारा नियोजित कार्मिकों के शोषण की पराकाष्ठा की जा रही है जिससे राज्य में आर्थिक एवं सामाजिक ताना-बाना कमजोर हो रहा है। 

     अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ की प्रदेश संघर्ष समिति एवं प्रदेश कार्यकारिणी ने राज्य सरकार को संवाददाता सम्मेलन के माध्यम से चेतावनी देते हुए कहा कि राज्य सरकार कर्मचारियों की शालीनता को कमजोरी नही माने एवं उनकी शक्ति को नजरअंदाज नहीं करे अन्यथा परिणाम सुखद नही होंगे। राज्य सरकार कर्मचारियों को सडको पर उतरने के लिए मजबूर कर रही है जिसका खामियाजा राज्य सरकार सहित आम जनता को भुगतना पडेगा जिसकी समस्त जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।

     संवाददाता सम्मेलन में महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष आयुदान सिंह कविया, वरिष्ठ उपाध्यक्ष के.के. गुप्ता, प्रदेश महामंत्री तेजसिंह राठौड, संघर्ष समिति के पदाधिकारी महावीर सिहाग, राजेन्द्र निमिवाल, महेन्द्र कुमार तिवारी, नारायण सिंह, शमीम कुरेशी, प्यारेलाल चैधरी, दशरथ कुमार एवं सचिव संघर्ष समिति अर्जुन शर्मा उपस्थित रहे। 

     मुख्यमंत्री के निर्देशों की अवहेलना कर रहे है मंत्री एवं विभागाध्यक्ष:-वित्त विभाग राजस्थान सरकार द्वारा दिनांक 28 मई, 2021 को मुख्यमंत्री द्वारा अनुमोदित परिपत्र जारी कर निर्देश दिये गये कि महासंघ से सम्बद्ध समस्त घटक संगठनों से सम्बन्धित विभागो के मंत्रीगण एवं शासन सचिव/विभागाध्यक्ष द्विपक्षीय वार्ता आयोजित कर उनके मांग पत्रों पर यथोचित कार्यवाही करेंगे, परन्तु खेद का विषय है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के विशेष निर्देशों से जारी परिपत्र सरकार के मंत्रियों एवं शासन सचिवों ने रद्दी की टोकरी में डाल दिया जिससे प्रदेश के कर्मचारियों का वर्तमान सरकार से पूरी तरह विश्वास उठ गया है। 

     अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ ने वर्तमान सरकार के समग्र विरोध का निर्णय करते हुए कर्मचारी विरोधी नीतियों के विरोध में संघर्ष का आगाज करते हुए निम्नानुसार आंदोलन के कार्यक्रम जारी किया। आंदोलन के चरण -

1 दिनांक 12.09.2021 महासंघ कार्यालय मन्दिर श्री गोवर्धननाथ जी, चैडा रास्ता जयपुर संवाददाता सम्मेलन एवं संशोधित मांग-पत्र का प्रकाशन। 

2 दिनांक 13.09.2021 प्रदेश संघर्ष समिति द्वारा श्रीमान् मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार को आंदोलन का ज्ञापन एवं मांग-पत्र।

3 दिनांक 15.09.2021 माननीय मुख्यमंत्री एवं श्रीमान मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार के नाम जिला कलेक्टरर्स के माध्यम से जिला शाखाओं द्वारा ज्ञापन। 

4 दिनांक 26.09.2021 महासंघ एवं शासन के मध्य लिखित समझौते की अवहेलना कर गठित की गई श्री खेमराज चैधरी (आई.ए.एस) की कमेटी के विरोध में प्रदेश एवं जिला स्तर पर ‘‘विरोध दिवस‘‘ का आयोजन

5 दिनांक 01.10.2021 से 15.10.2021 आंदोलन को सफल बनाने हेतु जिला शाखाओं द्वारा तैयारी बैठके आयोजित करना। 

6 दिनांक 16.10.2021 से 31.10.2021 महासंघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों द्वारा जिला एवं उप शाखा स्तर तक जागरूकता अभियान के  तहत सभाओें का आयोजन एवं सम्बोधन।