किसानों के आगे मोदी टूटे, अब अभिभावकों की मांगों का भी सम्मान करें अशोक गहलोत

 News from - अभिषेक जैन बिट्टू

कृषि कानून रद्द होना किसानों के संघर्ष की जीत, अब अभिभावकों की बारी - संयुक्त अभिभावक संघ

     जयपुर। शुक्रवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों की मांगों के आगे घुटने टेकते हुए लम्बे समय से किसानों की चली आ रही तीनों कृषि कानून रदद् करने की मांग को स्वीकार करते हुए तीनों बिलो को रद्द करने की घोषणा की. जिसके बाद से देशभर के किसानों में खुशी का माहौल है। 

     तीनों कृषि कानून रदद् होने पर अभिभावकों के मुख्य समूह संयुक्त अभिभावक संघ ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी, संघ ने कहा कि " किसानों के आगे मोदी पूरी तरह से टूट गए, एक साल से भी लम्बे समय से किसान सड़कों पर उतरकर तीनों कृषि कानून रदद् करने की मांग कर रहे थे, इस दौरान भाजपा और केंद्र सरकार ने अपनी हठधर्मिता का परिचय देते हुए किसानों का खुले मंच से घोर अपमान किया, किसानों को आतंकवादी, खालिस्तानी तक करार दिया। लगातार किसानों के लिए इन तीनों कानून की आवश्यकता बताई थी। "

     संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले जबर्दस्ती कर किसानों पर तीनों कृषि कानून थोपने का काम किया, उसके बाद किसानों का अपमान किया, अब जब पांच राज्यों में चुनाव नजदीक आने लगे तो मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा की। अब राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार भी अभिभावकों का सम्मान लौटाए और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना सुनिश्चित करवाने की प्रकिया को अपनाए। 

     किसानों की एकजुटता, आत्मसमर्पण और संघर्ष ने केंद्र सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया अब राजस्थान का अभिभावक भी अपनी एकजुटता, आत्मसमर्पण और संघर्ष की बदौलत अशोक गहलोत सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर करेगी। आज जिस प्रकार राज्य सरकार और निजी स्कूल आपस मे मिलकर अभिभावकों को ठगने, लूटने, प्रताड़ित और अपमानित करने का कार्य कर रहे है जिसके गंभीर परिणाम अशोक गहलोत सरकार को भोगने ही पड़ेगे.