फीस पर फसाद..... सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवेहलना

News from - अभिषेक जैन बिट्टू

 स्कूलों की हठधर्मिता, शिक्षा अधिकारी, मंत्री सब मौन, ना सुनवाई, ना समाधान

अभिभावक दोहरी मार झेलने पर मजबूर

     जयपुर। प्रदेश में निजी स्कूल का मामला अभी तक नही थमा है. फीस को लेकर निजी स्कूलों हठधर्मिता लगातार बढ़ती जा रही है. स्कूलों की शिकायत लेकर शिक्षा अधिकारी और मंत्री के पास पहुंच रहे अभिभावकों को अनसुना किया जा रहा है, जिनकी शिकायतों पर विभाग कार्यवाही करने पहुंचता है तो स्कूल संचालक उनके साथ बदसलूकी कर रहे है। संयुक्त अभिभावक संघ का आरोप है कि राज्य सरकार के संरक्षण के चलते निजी स्कूल संचालक अभिभावकों, छात्र-छात्राओं सहिय शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों के साथ बदसलूकी कर दुर्भाग्यपूर्ण व्यवहार कर रहे है। " साथ ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खुलेआम अवहेलना कर रहे है जिसको राज्य सरकार ने अपना पूर्ण समर्थन दिया हुआ है। मजबूर अभिभावकों को दोहरी मार झेलने पर मजबूर किया हुआ है। एक तरफ कोरोना का डर तो दूसरी तरफ अधूरी पढ़ाई, ना रोजगार ना सुविधा। 

     प्रदेश विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी ने जानकारी देते हुए बताया कि निजी स्कूलों ने छात्र-छात्राओं के भविष्य को ताक पर रखकर फीस वसूली का माध्यम बना लिया है, प्रदेशभर में हजारों शिकायतों का अंबार लगा हुआ है किंतु कही कोई सुनवाई नही हो रही है। अभिभावकों को टीसी, रिजल्ट सहित बच्चों को परीक्षाएं दिलवाने के लिए विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जिसमे सबसे बड़ी समस्या कक्षा 9 वीं से 12 वीं तक के विद्यार्थियों को उठानी पड़ रही है। इनके अभिभावकों से मनमाने तरीके से फीस वसूली सहित दबाव बनाया जा रहा है और डरा-धमका कर फीस वसूली की जा रही है। जबकि सुप्रीम कोर्ट 03 मई व 1 अक्टूबर को अपने आदेश में स्पष्ट कह चुका है कि फीस एक्ट 2016 के तहत निर्धारित फीस ही वसूल की जा सकती है और फीस के चलते किसी भी छात्र का रिजल्ट, परीक्षा और टीसी नही रोकी जा सकती है। बावजूद इसके निजी स्कूल राज्य सरकार का संरक्षण प्राप्त कर अभिभावकों के साथ बदसलूकी कर रहे है और अधिकारियों तक को खदेड़ रहे है।