अच्छे डाक्टर, नर्स को घर में रखिये

 From - Anil Saxena

     एक आश्चर्यजनक रीति चल पड़ी है, बुजुर्ग बीमार हुए, एम्बुलेंस बुलाओ, जेब के अनुसार 3 स्टार या 5 स्टार अस्पताल ले जाओ, ICU में भर्ती करो और फिर जैसा जैसा डाक्टर कहता जाए, मानते जाओ।

     और अस्पताल के हर डाक्टर, कर्मचारी के सामने आप कहते है कि पैसे की चिंता मत करिए, बस इनको ठीक कर दीजिए और डाक्टर एवम अस्पताल कर्मचारी लगे हाथ आपके मेडिकल ज्ञान को भी परख लेते है और फिर आपके भावनात्मक रुख को देखते हुए खेल आरम्भ होता है. कई तरह की जाँचे होने लगती है, फिर रोज रोज नई नई दवाइयाँ दी जाती हैं, रोग के नए नए नाम बताये जाते हैं और आप सोचते हैं कि बहुत अच्छा इलाज हो रहा।

     80 साल के बुजुर्ग के हाथों में सुइयां घुसी रहती है. बेचारा करवट तक नही ले पाते, ICU में मरीज के पास कोई रुक नही सकता या बार बार मिल नहीं सकते। भिन्न भिन्न नई नई दवाइयों के परीक्षण की प्रयोगशाला बन जाता है 80 वर्षीय शरीर।

आप ये सब क्या कर रहे हैं एक शरीर के साथ??

     शरीर, आत्मा, मृत्युलोक, परलोक की अवधारणा बताने वाले हिन्दू धर्म की मान्यता है कि ज्ञात मृत्यु सदा सुखद परिस्थिति में होने, लाने का प्रयत्न करना चाहिए। इसलिए वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र में बुजुर्ग अंतिम अवस्था मे घर मे हैं तो जिन लोगो को वो अंतिम समय मे देखना चाहते हैं, अपना वंश, अपना परिवार, वो सब आसपास रहते हैं। बुजुर्ग की कुछ इच्छा है खाने की तो तुरन्त उनको दिया जाता है, भले ही वो एक कौर से अधिक नही खा पाएं लेकिन मन की इच्छा पूरी होना आवश्यक है आत्मा के शरीर छोड़ने से पहले।

     मन की अंतिम अवस्था शांत, तृप्त होगी तो अदृश्य परलोक में शांति रहेगी, बेचैनी नही। अस्पताल के ICU में क्या ये संभव होता है? अस्पताल में कष्टदायक, सुइयाँ घुसे शरीर से क्या आत्मा प्रसन्न होकर निकलेगी? क्या अस्पताल के ICU में बुजुर्ग की हर इच्छा पूरी होती है??

     रोज नई नई दवाइयों का प्रयोग, कष्टदायक यांत्रिक उपचार, मनहूस जैसे दिनभर दिखते अपरिचित चेहरों के बीच बुजुर्ग के शरीर को बचाइए, अगर आप हिन्दू हैं तो बुजुर्ग को देवलोक गमन का शरीर मानकर सेवा करिये, सफेद कोट वालो के हाथों में गिनीपिग बनाकर मत छोड़िए।

अच्छे डाक्टर, नर्स को घर में रखिये, घर में सभी सुविधाएं उपचार करने का प्रयत्न कीजिये..।।