निजी स्कूलों में पुस्तकों और यूनिफार्म का गोरखधंधा बंद करवाएं राज्य सरकार - संयुक्त अभिभावक संघ

News from - अभिषेक जैन बिट्टू

सरकारी स्कूलों की तर्ज पर निजी स्कूलों में " बुक बैंक " डवलप करवाएं

      जयपुर। प्रदेश में निजी स्कूलों की हठधर्मिता लगातार बढ़ती जा रही है, इन दिनों सभी स्कूलों में नए सत्र की तैयारी जोरों पर चल रही है, जिसमें निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों पर भारी-भरकम फीस तो थोपी जा ही रही है साथ ही पुस्तकों और यूनिफार्म का भी गोरखधंधा अभिभावकों का सर दर्द बना हुआ है। संयुक्त अभिभावक संघ का आरोप है कि निजी स्कूलों पहले ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर मनमाने तरीके से फीस वसूल रहा है साथ ही अभिभावकों पर मनमानी दरों पर अभिभावकों पुस्तकें और यूनिफार्म भी लेने का दबाव बना रहा है। 

     प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की निजी स्कूल हर साल 3-5 पांच पुस्तकें चेंज कर अभिभावकों पर दबाव बना रहे है जिस पर राज्य सरकार और शिक्षा विभाग को सख्त निगरानी रखकर पाठ्य पुस्तकों के गोरखधंधे पर लगाम लगानी चाहिए और अभिभावकों को राहत उपलब्ध करवानी चाहिए। पूर्व में जो पाठ्य पुस्तकें के सेट 250 से 500 रु में आते थे अब वही पुस्तकों के सेट 3 हजार से 7 हजार तक बेचे जा रहे है। निजी स्कूलों की स्थिति ऐसी है कि एक ही स्कूलों अलग-अलग शाखाओं की कक्षाओं में भी पाठ्य पुस्तक अलग-अलग उपलब्ध करवाई जा रही है जिससे अभिभावक सत्र पूरा करने के बाद किसी को पुरानी पुस्तकें तक डोनेट नही कर सकते है और मजबूरन पुस्तकों को रद्दियों में बेचना पड़ता है। 

     प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि राज्य सरकार और शिक्षा विभाग प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नही है और शिक्षा के माफियाओं को मनमानी करने की छूट देकर अभिभावकों को प्रताड़ित करने पर मजबूर किया हुआ है। शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों को लेकर जो " मॉडल बुक बैंक " चलाने का निर्णय लिया है वह सराहनीय कदम है, राज्य सरकार और शिक्षा विभाग को सरकारी स्कूलों पर निजी स्कूलों पर सख्ती बरतते हुए " बुक बैंक " डवलप करने के आदेश देने चाहिए। सरकार अगर इस तरह के निर्णय लेती है तो इससे ना केवल अभिभावकों को मदद मिलेगी बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी यह अहम कदम साबित होगा।