अभिभावक चिंतित "दो बच्चों का फीस चलते परीक्षा नही दे सके, अब दूसरा साल बचाने की गुहार "

News from - अभिषेक जैन बिट्टू

निजी स्कूल की मनमानी ....

एक साल पहले खराब अब दूसरा साल बचाने के लिए टीसी की आवश्यकता, स्कूल बोला 5-6 दिन बाद आना, जबकि एडमिशन के लिए टीसी जमा करवाने की लास्ट डेट 30 जुलाई

जयपुर। राजधानी के अजमेर रोड़ स्थित पुरानी चुंगी के अशोक नगर निवासी गोपाल कलयाना कोरोना से पहले रेस्टोरेंट चलाते थे किंतु कोरोना महामारी का उसके जीवन पर ऐसा दुष्प्रभार पड़ा कि उन्हें रेस्टोरेंट बंद करना पड़ गया, रेस्टोरेंट बंद होने के बाद परिवार के पालन-पोषण की चिंता सताने लगी तो जोमाटो में काम करना शुरू कर दिया, कुछ दिन हुए थे कि करने लगे थे कि सड़क दुर्घटना घट गई जिसमें उनके हाथ मे फैक्चर हो गया और कुछ महीनों के लिए बेड पर आ गए। ऐसी स्थिति में स्कूल की फीस कहा से चुकाते 3 बच्चों के पिता गोपाल कलयाना, स्कूल फीस जमा नही हुई तो स्कूल प्रशासन ने स्टॉप पेपर पर लिखित गारंटी मांगी, उनके बावजूद स्कूल प्रशासन ने उनके दो बच्चों की फीस के अभाव में परीक्षा रोक दी और उनका साल खराब कर दिया। 

इन सबके बावजूद अब अभिभावक अपने बच्चों का भविष्य बनाने के लिए सरकारी स्कूल में एडमिशन करवाने के लिए निजी स्कूल में चक्कर कांट रहा है, स्कूल ने बकाया फीस जमा करवाने को कहा अभिभावक मित्रो और परिजनों से पैसे इकठ्ठे कर वह भी जमा करवाने को तैयार है किंतु स्कूल ने कहा टीसी के लिए 5-6 दिन बाद आना, जबकि अभिभावक अपनी आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखकर बच्चों का सरकारी स्कूल में एडमिशन करवा रहा है किंतु एडमिशन के लिए उसे टीसी चाहिए, जिसे 30 जुलाई तक जमा करवानी है। अब अभिभावक चिंतित है दो बच्चों का पहले ही साल खराब हो चुका है और अब तीन बच्चों का साल खराब होने से बचाने की चिंता है। यह मामला शहर के निर्वाण नगर स्थित ब्राइट फ्र्यूचर सीनियर सेकेंड्री स्कूल का है जिसमे अभिभावक के तीन बच्चें कक्षा 10 वीं, 9 वीं और 5 वीं के छात्र थे। 


इस निजी स्कूल में बड़ी बेटी 10 वीं की छात्रा थी तो उसकी बोर्ड परीक्षा हो जाने से साल खराब होने से तो बच गया किन्तु स्कूल ने मार्कशीट रोक ली। छोटी बेटी 9 वीं की छात्रा थी और छोटा बेटा 5 वीं का छात्र था इन दोनों को परीक्षा देने से रोक दिया जिसके चलते दोनों का साल खराब हो गया है। टीसी के लिए स्कूल गया तो बड़ी बेटी की 17300 रु और छोटी बेटी की 14500 रु फीस जमा करवाने के लिए बोला। जिस जमा करवाने की सहमति देने के बावजूद स्कूल प्रशासन 5-6 दिन बाद आने के लिए बोल रहा है।

*टीसी के लिए स्कूल गया अभिभावक, पत्र में प्रतिलिपि देखकर प्रिंसिपल बोला प्रतिलिपि में जिनके नाम लिखे उन्ही को दूंगा जवाब*

अभिभावक गोपाल कलयाना एक कागज पर अपनी एप्लिकेशन टाइप कर प्रिंसिपल से बात करने गए तो प्रिंसिपल ने पहले एप्लिकेशन पढ़ी और एप्लिकेशन में प्रतिलिपि में लिखे नाम देखकर भड़क गए। दर्शल अभिभावक ने अपनी एप्लिकेशन में प्रतिलिपि कॉपी के तौर पर मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री, एडिशनल चीफ सेकेट्री, शिक्षा निदेशक, जॉइंट शिक्षा निदेशक, जिला शिक्षा अधिकारी सहित राजस्थान राज्य बाल अधिकार आयोग और संयुक्त अभिभावक संघ को मेल के जरिये शिकायत भेजकर मदद की गुहार लगाई थी, जिसे देख स्कूल प्रिंसिपल भड़क गए और अभिभावक को बोला कि अब वह प्रतिलिपी में लिखे नाम वालों को ही जवाब दूंगा।

संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि गुरुवार को अभिभावक गोपाल कलयाना का फोन कॉल आया था और मेल के जरिये शिकायत प्राप्त हुई थी। संघ ने स्कूल सहित शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखकर अभिभावक गोपाल कलयाना की मदद की गुहार लगाई और तत्काल टी.सी उपलब्ध करवाने की मांग की है। साथ ही जैन ने कहा कि सरकार की खामोशी की सज़ा अभिभावकों को भोगनी पड़ रही निजी स्कूल मनमानी आउट मनमर्जी करने के बाजवूद अभिभावकों को ना केवल प्रताड़ित कर रहे है बल्कि बच्चों के भविष्य से भी खिलवाड़ कर रहे है।

 निजी स्कूलों से टी.सी का प्रावधान खत्म होना चाहिए जिससे उनकी मनमानी और मनमर्जी पर रोक लग सके। साथ ही बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके। अगर शिक्षा विभाग और स्कूल प्रशासन ने बच्चों की टीसी समय पर उपलब्ध नही करवाई तो ऐसे प्रत्येक स्कूलों में अभिभावक एकत्रित होकर ताले लगाएंगे जो बच्चों का भविष्य खराब करने पर उतारू है। टीसी को लेकर पूरे राजस्थान से शिकायतें प्राप्त हो रही है। स्कूल और सरकार को अभिभावकों की मजबूरी देखते हुए टीसी मामले पर संसोधन करना चाहिए।

*बच्चों का साल खराब करने वाला स्कूल फीस का हकदार नही*

संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि निजी स्कूल फीस को लेकर तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे है और बच्चों को पढ़ाई से वंचित कर उनका साल खराब कर रहे है। कोरोना एक वैश्विक महामारी थी जिसने पूरे विश्व को अपनी चपेट में लिया हुआ था किंतु कुछ स्कूल माफियाओं ने महामारी को अपना धंधा बना लिया। जिसके चलते अभिभावकों को प्रताड़ित कर रहे है। स्कूलों के द्वारा बच्चों को परीक्षा से वंचित करना केवल सुप्रीम कोर्ट का उलंघन नही बल्कि राइट टू एजुकेशन कानून का भी अपमान है। 

बच्चों का साल खराब करने के बावजूद फीस का दबाव बना अनैतिक है। शिक्षा विभाग को ऐसे स्कूलों को बैन कर देना चाहिए और जो स्कूल बच्चों का साल खराब कर रहे है उन पर जुर्माना लगाना चाहिए। साथ ही उन अभिभावकों को ऐसे स्कूल की बिल्कुल भी फीस जमा नही करवानी चाहिए जो बच्चों का साल खराब करें। अभिभावक की शिकायत पर ब्राइट फ्र्यूचर सीनियर सेकेंडरी स्कूल को पत्र लिखकर बच्चों को तत्काल टीसी उपलब्ध करवाने की मांग की अगर निर्धारित समय पर बच्चों को टीसी नही मिलती है और उनका दूसरा साल खराब होता है तो संयुक्त अभिभावक संघ स्कूल के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करेगा। क्योकि स्कूल परीक्षा से वंचित कर पहले ही सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना कर चुका है।