निजी एवं दलीय हित के लिए जनहित पर कुठाराघात को रोकने के लिए विचार करे - रामपाल जाट

  News from - kisan Mahapanchayt            

     जयपुर। परियोजना को 75 प्रतिशत की निर्भरता पर तैयार करने की मांग करने वाले 50 प्रतिशत निर्भरता पर पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के लिए जल की उपलब्धता 3921 मिलियन घन मीटर रहेगी ! इसी परियोजना को 75 प्रतिशत निर्भरता पर तैयार करने पर जल की उपलब्धता घटकर 1744 मिलियन घन मीटर रह जाएगी, तब 13 जिलों की पेयजल की आपूर्ति के लिए जल की  उपलब्धता पर्याप्त नहीं रहेगी ! पेयजल के लिए 1723.5 मिलियन घन मीटर जल की आवश्यकता है ! अर्थात इस परियोजना को 75प्रतिशत की निर्भरता पर तैयार करने पर पूर्व निर्मित 26 वृहद एवं माध्यम सिंचाई परियोजनाओं के लिए पानी उपलब्ध नहीं हो सकेगा ! जिससे इन बांधो पूर्व से सृजित 80000 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की संभावनाएं शून्य हो जाएगी ! 

     वही होते ओध्योगिक गलियारे के लिए 286.4 मिलिय घन मीटर जल से भी वंचित होना पड़ेगा ! नए क्षेत्र में 200000 हेक्टेयर भूमि की प्रस्तावित सिंचाई सुविधा समाप्त हो जाएगी, जिससे इंदिरा जलोत्थान जैसी योजना के लाभ से सवाई माधोपुर, करौली, भरतपुर जिले वंचित हो जाएंगे ! इसके साथ ही पीपल्दा, धौलपुर, पिपलेट, ओलवाड़ा, डंगरिया, रौंधई जैसी जलोत्थान योजनाओं पर सदा के लिए ताला लग जाएगा ! गंभीर एवं बाणगंगा जैसी नदियों में जल प्रवाह की योजना गर्त में चली जाएगी ! आश्चर्य है कि यह परियोजना जिस दल के शासन में तैयार की गई उसी दल के लोग इस परियोजना पर पलीता लगाने को तुले हुए हैं ! 

     13 जिलों के लघु, मध्यम, वृहद बांधो को भरने के लिए तो इस परियोजना को सिंचाई प्रधान बनाए जाने की आवश्यकता है ! इस हेतु से कुल उपलब्ध जल में से 86 प्रतिशत सिंचाई के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए ! अभी तो इस परियोजना में कुल उपलब्ध जल में से 49 प्रतिशत पेयजल एवं 8 प्रतिशत ओध्योगिक गलियारे के लिए आरक्षित है, शेष 43 प्रतिशत पानी सिंचाई के लिए है, उसमें भी केंद्र एवं राज्य की जल नीति के अनुसार कटौती हो सकती है ! 

     यह परियोजना वर्ष 2017 में तैयार हो गई थी ! अभी 15 अगस्त 201 9 से ग्रामीण भारत के पेयजल के लिए जल जीवन मिशन के अंतर्गत “हर घर को नल से जल” देने की केंद्र की योजना चालू है ! जिसके लिए राजस्थान को 1,402 करोड़ रुपए आवंटित किए जा चुके हैं ! इसे दृष्टिगत रखते हुए पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को सिंचाई प्रधान बनाया जा सकता है ! इस परियोजना से खेत को, मानव ,पशु-पक्षियों सहित सभी जीवो को पानी मिलेगा एवं भूमिगत जल स्तर में सुधार होगा ! इससे एक पथ तीन काज ( three in one) की परिकल्पना साकार हो सकेगी ! इसी से “हर घर को नल से जल” भी सुलभ हो पायेगा !