लंपी रोग काल बनकर गोवंश पर कहर बरपा रहा

News from - सुरेश चंद्र मेघवंशी  

 रोजाना हजारों गोवंश की मौत 

     जयपुर। राजस्थान मैं लंपी  रोग लगातार गोवंश पर कहर बरपा रहा है. रोजाना हजारों की संख्या में गोवंश की मौत हो रही है। जब से गाय का राजनीति उपयोग होने लगा, तब से गोवंश निराश्रित हो गया और दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है। जब से भारतीय जनता पार्टी नामक राजनैतिक संगठन का गठन हुआ, तब से ही गाय राजनीति की धुरी बन गई। अब तक प्रदेश से लेकर दिल्ली तक गोवंश के नाम पर कहीं बड़े जन आंदोलन से लेकर राजनीतिक आंदोलन हुए, जिसका सबसे अधिक फायदा भारतीय जनता पार्टी ने उठाया। 

(लंपी रोग से पीड़ित गोवंश)
     गाय के जयकारे के साथ भाजपा की राजनीति यात्रा शुरू हुई और भाजपा गांव से गुजरते हुए दिल्ली की सत्ता तक काबिज हो गई। वहीं चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के लिए गाय मां के समान है। वहीं अन्य राजनीतिक दलों के लिए गाय सिर्फ दूध देने वाला पशु बनकर रह गया।

     वर्तमान में राजस्थान में पश्चिमी इलाकों से गायों में लंपी स्किन रोग की शुरुआत हुई । यह वायरस पाकिस्तान की सीमा से अब धीरे-धीरे पूरे राजस्थान में फैल गया । राजस्थान से उत्तर प्रदेश हरियाणा और गुजरात में भी लंपी रोग पैर पसार रहा है. राजस्थान में सरकारी आंकड़ों के अनुसार करीब 50 हजार गोवंश की मौत हो चुकी है। जबकि यह आंकड़ा पूरी तरह से फर्जी हैं. अब तक 3 से 4 लाख  गोवंश की केवल राजस्थान में मौत हो चुकी है। 

     राजस्थान सरकार की नाकामी के चलते इस रोग पर काबू नहीं पाया जा सका. वही पूरे प्रदेश की अगर बात की जाए तो आधे से अधिक पशु चिकित्सकों के पद खाली हैं । वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में पशु चिकित्सालय ना के बराबर है। ना ही पशुओं के लिए टीके की समुचित व्यवस्था है। राजस्थान सरकार रोग पर काबू पाने के बजाय, केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अपने कार्य की इतिश्री कर ली. वहीं केंद्र की भाजपा सरकार ने अभी तक गोवंश को बचाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। राजस्थान में गुटबाजी में उलझी भाजपा ने प्रदेश भर में केवल ज्ञापन देकर अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर ली।

     जिसके चलते राजनीति का केंद्र माने जाने वाली गाय पर लगातार संकट आ रहा है । वही छोटे-मोटे गौ सेवा के संगठन एवं समाजसेवी संगठन रात दिन विभिन्न प्रकार के आयुर्वेदिक उत्पाद बनाकर गोवंश के बचाने की मुहिम चला रहे है। जो सराहनीय कदम है. आने वाले समय में अगर गोवंश को राजनीति से अलग रखा जाए तो ही बेहतर होगा।