किसानो ने मुख्यमंत्री स्तरीय वार्ता आयोजित करने के लिए सरकार को दिया एक सप्ताह का समय – रामपाल जाट

 News from - गोपाल सैनी

 “खेत को पानी - फसल को दाम - किसानों का यही पैगाम”

      जयपुर . लावणी और बामणी किसानों के लिए स्वयं को दांव पर लगाने का समय होता है। 500 रुपये मजदूरी देने पर भी मजदूर ढूंढने में कठिनाई होती है फिर मजदूरों के साथ खेत पर काम करना ही पड़ता है तब परिणाम आता है। निरंतर शादी समारोह भी चलते रहे ऐसे विकट समय में भी किसानों ने घर छोड़कर सड़क पर पांच दिन तक पद यात्री के रूप में बिताये, वह भी जयपुर में प्रवेश करने वाले सभी प्रमुख पांच मार्गों पर, राजनीतिक दलों द्वारा पैसे और संसाधनों के आधार पर भीड़ जुटाने के स्वभाव के कारण से वह ऐसे आयोजनों को समझ ही नहीं पाते हैं। 

     इस सब के उपरांत भी निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार दौसा, शाहपुरा, श्रीमाधोपुर, दूदू एवं निवाई से 24 फरवरी को आरंभ हुई, पांचों यात्राओं का संगम कल जयपुर में शहीद स्मारक पर हुआ। जहाँ चारों ओर से “खेत को पानी - फसल को दाम - किसानों का यही पैगाम” गूंजता रहा ।

     इस सम्बन्ध में कल महापंचायत में पारित सर्वसम्मत प्रस्ताव की प्रति मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भेज कर किसानों ने एक सप्ताह में कोई भी दिन निर्धारित कर वार्ता आयोजित करने का आग्रह किया गया है और तब तक आंदोलन को स्थगित रखने की घोषणा की है । 

निम्न प्रस्ताव पारित हुआ है:-

     “किसानों को कमाई छोड़कर लड़ाई पर विवश होना पड़ा और उसी के कारण 5 दिन तक घर बार छोड़कर पैदल सड़क पर चलना पड़ा। यह भी ऐसे कामों के लिए जिनको करने का लोक कल्याणकारी राज्य का दायित्व है। राजस्थान की समृद्धि के लिए खेत को पानी एवं फसल को दाम अपरिहार्य है । 

     इन्हीं मांगों के लिए 23 दिसंबर से अब तक हजारों किसानों से संपर्क किया गया। किसानों ने भागीरथी संकल्प लिए सोशल मीडिया के माध्यम से 5,00,000 से अधिक किसानों तक इस संदेश का प्रचार प्रसार हुआ।

     "खेत को पानी - फसल को दाम" के संबंध में 3 फरवरी को ही प्रदेश के किसानों की ओर से मुख्यमंत्री जी को ज्ञापन भेजकर निवेदन कर दिया गया था। इसके उपरांत भी इस बजट में न्यूनतम समर्थन मूल्य की सुरक्षा हेतु चर्चा तक नहीं है।

     आज किसान इन्हीं मांगों के लिए पांच मार्गों से पांच दिवसीय किसान हितों के पांच मुद्दों के लिए एकत्र आए हैं ।किसानों ने घोषणा की हुई है कि इन मुद्दों का समाधान मुख्यमंत्री से ही हो सकता है।

     इसलिए वे मुख्यमंत्री से ही मिलना चाहेंगे अन्य किसी से नहीं, एक सप्ताह में जब भी मुख्यमंत्री जी समय देंगे, शिष्टमंडल तभी आकर मिलेगा । इस महापंचायत में उपस्थित सभी किसानों का दृढ़ मत है कि खेत को पानी और फसल को दाम से ही किसान ऋण मुक्त हो सकता है । जिस दिन किसान ऋण देने वाला बन जाएगा, उस दिन हमारा देश विश्व में सर्वोपरि स्थान प्राप्त कर लेगा । 

     इसी के लिए किसान निरंतर साधना एवं तपस्या के माध्यम से सरकारों तक आवाज पहुंचा रहे हैं । इस प्रस्ताव के माध्यम से मुख्यमंत्री जी से वार्ता के लिए प्रतिनिधिमंडल को 1 सप्ताह में समय देने का अनुरोध है। तब तक किसानों का आंदोलन स्थगित रहेगा। हमें आशा नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि मुख्यमंत्री जी किसानों को कमाई छोड़कर लड़ाई के लिए विवश से नहीं करेंगे ।”