200 साल पुरानी श्री चित्रगुप्त जी की पाषाण प्रतिमा के समक्ष कायस्थ समाज का भव्य आयोजन

 News from - Jitendra Naag

200 साल पुरानी श्री चित्रगुप्त जी की पाषाण प्रतिमा के समक्ष मनमोहक, मधुर, मस्त और रसमयी भजन एवं आरती का भव्य आयोजन किया गया     

     जयपुर। कायस्थ जनरल सभा, जयपुर के तत्वाधान में शनिवार दिनांक 6 मई 2023 को सायं 6:30 से 8:30 बजे तक सूरजपोल, रामगंज के श्वेत सिद्ध विनायक मंदिर में स्थित 200 साल पुरानी श्री चित्रगुप्त जी की पाषाण प्रतिमा के समक्ष मनमोहक, मधुर, मस्त और रसमयी भजन एवं आरती का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें कायस्थ समाज के बंधु बांधवों ने भाग लेकर भरपूर आनंद लिया और परशादी ग्रहण करी।

     इस महाआरती और भजन संध्या में अवध बिहारी माथुर, मोहन प्रकाश माथुर, राधा मोहन माथुर, गोपी मोहन माथुर, सत्य नारायण माथुर, योगेश माथुर, बीना माथुर ने गणेश जी, राधा गोविंद जी, खाटू बाबा जी, माता जी, श्री चित्रगुप्त जी की मन लुभावनी स्तुतियाँ और भजनों की प्रस्तुतियाँ से सबका मन मोह लिया। आज की शाम में जितेंद्र नाग ने भी पहली बार अपनी लिखित स्वरचित श्री चित्रगुप्त महिमामंडन नैन का चैन चुरा कर ले गये, कर लो मन से ध्यान प्रस्तुत कर सबकी वाही वाही बटोरी।

     इस महाआरती एवं भजन संध्या में जितेंद्र नाग, एम. बी. माथुर, राधा मोहन माथुर, अवध बिहारी माथुर, देवेंद्र सक्सेना मधुकर, गोपी मोहन माथुर, मोहन प्रकाश माथुर, लाडली शरण माथुर, योगेश माथुर, सत्य नारायण माथुर, शोभित सक्सेना, योगेंद्र कुमार माथुर, शैलेश दत्त माथुर, बीना माथुर, अशोक माथुर, दिनेश माथुर आदि ने भाग लिया।  

मंदिर श्वेत सिद्धि विनायक :

     जयपुर शहर के रामगंज से आगे सूरजपोल बाजार में एक प्राचीन गणेश मंदिर है, जिसमें एक साथ तीन मंदिर स्थापित हैं यानि गणेशजी के साथ राधा-कृष्ण और चित्रगुप्त भी बिराजे हैं। लेकिन फिर भी मंदिर की श्वेत सिद्धि विनायक के नाम से पहचान है। प्रात: सूर्यदेव अपनी पहली किरणों से गजानंद के चरणों का अभिषेक करते हैं।

     श्वेत संगमरमर के पत्थर की होने से यह मंदिर श्वेत सिद्धि विनायक के नाम से प्रसिद्ध है। कहते हैं सिद्धि विनायक की महिमा अपरंपार है। वे भक्तों की मनोकामना को तुरंत पूरा करते हैं। मंदिर के प्रन्यासी महंत मोहनलाल शर्मा ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण जयपुर के महाराजा सवाई रामसिंह के समय कराया गया था। मंदिर की नींव माघ कृष्ण पंचमी को रखी गई थी। 

     गणेश जी की दक्षिणवृत्ति श्वेत प्रतिमा इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है। ऐसा माना जाता है कि गणेश प्रतिमा की स्थापना तांत्रिक विधि-विधान की गई थी। यही एक वजह है कि यहां गणेश जी की प्रतिमा पर सिंदूर का चोला नहीं चढ़ाया जाता है। प्रतिमा का केवल दूध एवं जल से ही अभिषेक होता है। जिसके चलते इस पर यहां लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। गणेश जी के चारों भुजाओं में सर्पाकार मणिबंध और पैरों में पेजनी है। गणेश जी का जनेऊ भी सर्पाकार है।

     पुष्य नक्षत्र, शरद पूर्णिमा, गणेश चतुर्थी तथा अन्य अवसरों पर यहां विशेष आयोजन होता है। इस मंदिर के प्रति आस-पास के लोगों में गहरी आस्था है। यहां बुधवार को बड़ी संख्या में भक्त दर्शनों के लिए आते हैं।

चित्रगुप्त रखते हैं लेखा-जोखा :

     छोटी काशी में श्वेत सिद्धि विनायक एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान श्री चित्रगुप्त की भव्य और मनमोहक श्याम वर्णीय पाषाण प्रतिमा स्थापित है। ऐसा माना जाता है कि ईशान कोण में इस मंदिर की स्थापना लोगों के पाप पुण्य का लेखा-जोखा रखने के लिए की गई थी। यहां दीवाली के एक दिन पहले यम चतुदर्शी पर यज्ञ का भी आयोजन होता है। मध्य में राधा-कृष्ण भगवान का मनमोहक मंदिर स्थापित है।