आमागढ़ कच्ची बस्ती के निवासियों ने की न्याय की मांग

 News from - G.G.Singh

अनैतिक गतिविधियों के जरिए परिवारों को बेघर करने का किया जा रहा प्रयास

     जयपुर। राजधानी के ट्रांसपोर्ट नगर मुख्य चौराहे के पास आमागढ़ वैधपुरी सहायता संघर्ष समिति के बैनर तले विगत लगभग दो माह से धरने पर बैठे आमागढ कच्ची बस्ती के निवासियों ने मंगलवार 19 नवम्बर को मीडिया के समक्ष अपनी पीड़ा बयां करते हुए सरकार व प्रशासन से न्याय की मांग की है। 

     सरकारी दस्तावेजों के आधार पर यहां के लगभग 7500 वर्गगज में विगत लगभग 40 वर्षों से काबिज बाशिंदों ने अपनी पीड़ा सार्वजनिक करते हुए पत्रकारों को बताया कि दुर्भावना से अनैतिक गतिविधियों के जरिए कुल 40 परिवारों के 200 लोगों का जीवन जीना मुश्किल हो रखा है। पीड़ित परिवार के लोगों ने बताया कि रामगोपाल गोयल नाम के एक व्यक्ति ने बिना नक्शा के पट्टे और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वन विभाग की जमीन पर अनेक बैंको से कर्जा लिया था जबकि बैंकों ने बिना किसी उचित प्रमाणीकरण के लगभग 25 करोड का लोन जो कि ब्याज सहित दुगुना हो गया है, उसे दे दिया था।

     वहीं लोन नहीं चुका पाने के बदले में रामगोपाल और उनके परिवार के सदस्य जेल भी जाने का दिखावा कर चुके हैं। अब जब बैंक अधिकारियों में अपनी गलत नियत से जारी किए गए लोन की रिकवरी के लिए नोटिस जारी करके यहां रह रहे लोगों के घरों व दुकानों पर नोटिस चिपका दिए गए हैं। इस संबंध में पीड़ित बाशिंदों ने जाँच पडताल की तो वसूली अधिकरण ने एडवोकेट कृष्णवर्धन सिंह को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया हुआ हैं.

     जबकि पीड़ित लोगों का कहना है कि कृष्णवर्धन सिंह ने कोर्ट के आदेश के अनुसार पूर्व से पश्चिम 150 गज और उत्तर से दक्षिण 50 गज की कार्यवाही की जगह उत्तर से दक्षिण 150 गज और पूर्व से पश्चिम 50 गज की भूमि के टुकडे पर कार्यवाही की दोष पट्टी दिखा रखी है। जबकि बैंक लोन पूर्व से पश्चिम 150 गज और उत्तर से दक्षिण 50 गज की भूमि पर दिया गया था। 

     इस तरह निर्दोष पीड़ितों को बेवजह परेशान कर प्रताडित किया जा रहा है। इस सम्बंध में पीड़ितों ने मुख्यमंत्री से मिलकर दस्तावेज दिए और जिला कलेक्टर की जनसुनवाई में भी दस्तावेज सौप चुके हैं। जबकि इस मामले की जांच पटवारी से करवाई गई तो इस जाँच में वैधपुरी आमागढ कच्ची बस्ती की भूमि वन विभाग के अधीन बताई गई है। 

     सूत्रों से प्राप्त जानकारी के आधार पर वन विभाग की जमीन पर बैंक गलत तरीकों से लोन जारी नहीं कर सकता। उल्लेखनीय है कि रेवेन्यू रिपोर्ट के अनुसार सीबीआई जाँच में यह तथ्य उजागर हुआ कि मूल रूप से पूर्व से पश्चिम 150 गज और उत्तर से दक्षिण 50 गज (कुल 7500 वर्गगज) की यह भूमि गुलाब खान पुत्र मोहम्मद बक्श के नाम दर्ज है। इसकी जाँच के आधार पर सीबीआई ने जाँच में रामगोपाल द्वारा बैंक में लोन के लिए प्रस्तुत किए गए सभी दस्तावेजों को फर्जी और नकली बताते हुए इनके पूरे परिवार को (जिनके नाम अनेकों गिफ्ट डीड बनाई गई थी) जेल भेज दिया गया था। 

     जबकि कुछ वर्षों पहले रामगोपाल गोयल और उनके पुत्र की भी मौत हो चुकी है। अब बैंक अधिकारी अपनी नौकरी बचाने और जेल जाने से बचने के लिए गलत तरीके से दिए गए लोन की रिकवरी करने के लिए आमागढ वैधपुरी के बाशिंदों को यहां से खदेड़कर इस बेशकीमती जमीन को नीलम करके दिए गए लोन की भरपाई करना चाहती है।