शिक्षा को व्यापार ना बनाये निजी स्कूल संचालक, अभिभावकों से स्कूल है स्कूलों से अभिभावक नही - अभिषेक जैन बिट्टू

      जयपुर। निजी स्कूलों की फीस का विवाद थमने का नाम नही ले रहा है, पिछले सत्र का विवाद नए सत्र की और बढ़ता चला जा रहा है। स्कूल फीस को लेकर चल रहे विवाद के बीच भारतवर्षीय अभिभावक संघ के केंद्रीय संयोजक अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि " निजी स्कूल संचालक पिछले एक वर्ष से अभिभावकों पर दबाव बनाकर शिक्षा को व्यापार बनाने की दिशा में कार्य कर रहे है, जबकि निजी स्कूल संचालकों को कोरोना महामारी से पीड़ित, प्रताड़ित हुए राज्य के करोड़ो अभिभावकों की दिशा और दशा पर भी ध्यान देना चाहिए था किंतु स्कूल संचालकों ने सारी हदें पार करते हुए ना केवल अभिभावकों को प्रताड़ित किया बल्कि बच्चों तक को नही बख्सा गया जो दुर्भाग्यपूर्ण है। 

     अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि निजी स्कूल संचालक अभिभावकों के साथ जो व्यवहार कर रहे है उससे साफ प्रतीत होता है कि वह केवल शिक्षा का व्यापार कर रहे है और अभिभावकों को कठपुतली की तरह इस्तेमाल कर केवल मोटी-मोटी फीस वसूलकर केवल अपनी जेबें भर रहे है। जबकि पिछले सत्र में स्कूलों ने बच्चों को कोई सुविधा नही दी बल्कि पूरी फीस वसूली और अभिभावकों पर बच्चों को पढ़ाने के लिए अतिरिक्त खर्चे तक करवाये। 

     जैन ने कहा कि अब जब पिछले सत्र की तरह नए सत्र की दुर्दशा भी ऐसी होती दिख रही है तो ना स्कूल संचालक ध्यान दे रहे है ना राज्य सरकार और ना ही शिक्षा विभाग ध्यान दे रहा है। पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष में भी गतिरोध बरकरार रहने की संभावना है भारतवर्षीय अभिभावक संघ केंद्र सरकार, राजस्थान सरकार, शिक्षा विभाग और सभी निजी स्कूलों से ऑनलाइन और ऑफलाइन क्लास दोनों की अलग-अलग फीस निर्धारित करने की मांग करता है। निजी स्कूलों को वक्त की नजाकत को समझते हुए अभिभावकों का साथ देना चाहिये। स्कूल संचालकों को इतना ध्यान रखना चाहिए कि " अभिभावकों से स्कूल है स्कूलों से अभिभावक नही है अगर अभिभावक स्कूलों को बना सकता है तो बच्चों के नाम कटवाकर उन हठधर्मी स्कूलों पर ताले भी लगवा सकते है। "